यज्ञाग्नि हमारी पुरोहित

कर्मनिष्ठा-क्रियाशीलता सदा बनी रहे

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मित्रो! रगड़ से मतलब है क्रियाशीलता और निष्क्रियता का मतलब है हाथ पर हाथ रखे हुए बैठे रहना। निष्क्रियता से गरमी पैदा नहीं होती। गरमी रगड़ से पैदा होती है? रगड़ से। रगड़ क्रिया को कहते हैं, हलचल को कहते हैं। हलचल से गरमी पैदा होती है। हमारे जीवन में कर्मनिष्ठा अर्थात हलचल अर्थात हमारी क्रियाशीलता निरंतर बनी रहनी चाहिए। हमारे जीवन में कोई एक क्षण भी ऐसा न हो, जिसमें यह दोष हमारे ऊपर लगाया जा सके कि हम निष्क्रिय बैठे हुए हैं। हमारे शरीर के भीतर वाले हिस्से में कोई निष्क्रिय नहीं बैठता। आप तलाश कर सकते हैं कि हमारे शरीर के भीतर का रक्त बराबर चलता रहता है। माँसपेशियाँ बराबर काम करती रहती हैं। हम सो जाते हैं और सबेरे जग जाते हैं, फिर भी हमारे दिमाग के सेल्स काम करते रहते हैं। भाई साहब! आप सो गए हैं, ठीक है, लेकिन आपका दिमाग काम कर रहा है। वह सपने देख रहा है। सपने देखने के अलावा यह शरीर पर कंट्रोल करता है। आप समझते हैं कि हमारा सिस्टम हृदय से काम करता है। नहीं, हृदय से काम नहीं करता। इसका कंट्रोल आफिस दिमाग में है। सोते समय भी रातभर दिमाग कंट्रोल करता है। आपको पता भी नहीं चलता और आप करवट बदल लेते हैं। रात को थकान हो जाती है, एक करवट में पड़े-पड़े शरीर दुःखने लगता है। इससे क्या हो जाता है? दिमाग को सब पता रहता है। वह हुक्म देता है कि करवट बदल लीजिए। पैर पर पैर रखकर सो गए और एक पैर पर दूसरे पैर का दबाव पड़ रहा है। हमारा दिमाग देखता है कि यदि यह दबाव ज्यादा देर तक पड़ता रहा तो खून का दौरा कम पड़ जाएगा, इसलिए वह हुक्म देता है कि इस पैर को इधर रखना चाहिए करवट बदलना चाहिए। आपकी जानकारी के बिना यह सब अपने आप होता रहता है।

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