गीत संजीवनी-7

नारी युग जल्दी ही आयेगा

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नारी युग जल्दी ही आयेगा

नारी को देवी मान उसे घर- घर में पूजा जायेगा।
वह युग जल्दी ही आयेगा॥

नारी की स्नेह सुधा पीकर, ही तो सारा जग पलता है।
शिशु बन करके मानव का मन, गोदी में पड़ा मचलता है॥
निज रक्त पिला पोषण करती, भरती है अपना मधुर प्राण।
जग के दुःख तापों से हँस- हँस, देती है सबको वही त्राण॥
नारी के इन अनुदानों का, प्रतिदान चुकाया जायेगा।
वह युग जल्दी ही आयेगा।

बस उसकी एक दृष्टि से ही, जीवन अध्याय बदलते है।
नारी की महिमा गरिमा से, हम गौरव अनुभव करते हैं॥
जब थक कर हारा सा मनुष्य, पथ बीच कभी रुक जाता है।
तब साहस भरती है नारी, प्रेरणा प्राणमय पाता है॥
सम्मान नारियों का करना, सबको सिखलाया जायेगा॥
वह युग जल्दी ही आयेगा॥

वह स्वयं कष्ट सह लेती है, देती है सबको सुविधायें।
यदि आँचल की छाया हो तो, तृण बन जाती हैं बाधायें॥
देती है शक्ति अपरिमित माँ, की प्यार भरी मीठी वाणी।
यह बनी पूर्णता जीवन की, है सदा सर्वदा कल्याणी॥
सब समझें नारी की महिमा, वह ज्ञान जगाया जायेगा।
वह युग जल्दी ही आयेगा॥

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