गीत संजीवनी-12

दीप हैं जलते रहेंगे

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दीप हैं जलते रहेंगे
स्नेह के बल पर अँधेरे से सतत् लड़ते रहेंगे॥

पार जायेंगे हमारा मन कभी हारा नहीं है।
जो हमें पथ से डिगा दे बनी वह धारा नहीं है॥
कौन रोकेगा स्वयं तूफान थककर रुक गये हैं।
हर लहर से प्रेरणा ले, लक्ष्य तक बढ़ते रहेंगे॥

रोक पायी कब शिलायें, उमड़ता गतिमान निर्झर।
प्रेम के हम दूत अपना, साथ देते सभी पथ पर॥
प्रबल वर्षा आँधियों से भी, हमें सहयोग मिलता।
बिजलियों की चमक से निज मार्ग पर बढ़ते रहेंगे॥

हम अमर शिव के पुजारी, कर रहे विषपान हँसकर।
ज्योति के हम पुत्र रचते, ज्योतिमय अभियान घर- घर॥
बन स्वयं वरदान हमने, शाप को दे दी चुनौती।
बन प्रबल संकल्प अपना, मार्ग भी गढ़ते रहेंगे॥

मुक्तक-
नहीं बुझते कभी डरकर, प्रलय की आँधियों से हम।
नहीं डिगते कभी पथ से, अनय की व्याधियों से हम॥
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