गीत संजीवनी-12

आज दीप से दीप जलाओ

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आज दीप से दीप जलाओ।
दीपों का त्यौहार मनाओ।
हृदय- हृदय का तिमिर मिटाओ॥

फिर से दिवस सुहाना आया।
लहरों जैसे मन लहराया॥
उजियारे की धूमधाम से-
फूलों जैसे हँसो- हँसाओ॥

जगमग- जगमग भीतर- बाहर।
लगता है गागर में सागर॥
दीपों से सज गये थाल हैं।
कितने मनहर कितने सुन्दर॥
दुनियाँ में प्रकाश फैलाओ॥

भेदभाव को दूर हटाकर।
आपस में शुभ नेह जगाकर॥
माँ लक्ष्मी का आवाहन हो।
जन- जन में सहकार बढ़ाकर॥
हँसी- खुशी की बीन बजाओ॥

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