गीत संजीवनी-11

साथियों ! यदि हमें सिद्धियाँ

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साथियों! यदि हमें सिद्धियाँ चाहिये।
साधना हम करें आइये, आइये॥
साधना के क्षणों में न अलसाइये।
अन्यथा लाभ कुछ भी नहीं पाइये॥

साधना से हुआ है सृजन सृष्टि का।
साधना से जगा आत्मबल व्यष्टि का॥
सूर्य की साधना रोशनी बन गई।
चन्द्र की साध से चाँदनी छन गई॥
आप इस तथ्य को भी समझ लीजिए।
साधना कीजिए सम्पदा पाइये॥

साधना से बनी वज्र- सी अस्थियाँ।
पा गये थे दधीचि अमित शक्तियाँ॥
साधना में भगीरथ निरत हो गया।
साधना से हिमालय द्रवित हो गया॥
आप भी व्यर्थ जीवन गँवायें नहीं।
साधना कीजिए सिद्ध हो जाइये॥

दिव्य अनुपम महाप्राण की साधना।
सिद्धियाँ चाहतीं सिद्धियाँ माँगना॥
साधना से महाकाल वे बन गये।
काल के चक्र को मोड़ने तन गये॥
आप भी पात्रता को प्रमाणित करें।
अनुसरण कीजिए शिष्य कहलाइये॥

साधना की जरूरत पड़ी विश्व को।
टालनी है प्रलय की घड़ी विश्व को॥
वेदना से धरा छटपटाने लगी।
अश्रु पीड़ित मनुजता बहाने लगी॥
भाव संवेदनाएँ जगा आप भी।
साधना में समाधान है पाइये॥

विश्वमाता बनी साधना के लिये।
शान्तिकुञ्ज स्थली साधना के लिये॥
देव देगी बना विश्वमाता हमें।
शान्तिकुञ्ज शान्ति का है प्रदाता हमें॥
साधना कीजिए आप युगतीर्थ में।
लाभ गायत्री तीर्थ का पाइये॥

मुक्तक-

साधना से सिद्धियाँ मिलना सुनिश्चित।
साधना से देवता बनना सुनिश्चित॥
साधना करने कमर कसकर खड़े हों।
स्वर्ग का भू- पर उतर आना सुनिश्चित॥

संगीत की गरिमा असीम है। उसे नादब्रह्म, शब्दब्रह्म कहकर भगवान के समतुल्य ठहराया गया।
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