गीत संजीवनी-10

वह शक्ति हमें दो

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वह शक्ति हमें दो दया निधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम, निज जीवन सफल बना जावें॥

हम दीन- दुःखी निबलों- विकलों, के सेवक बन सन्ताप हरें।
जो हों भूले, भटके, बिछुड़े, उनको तारें खुद तर जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे....॥

छल, द्वेष, दम्भ, पाखण्ड, झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध, सरल अपना, शुचि प्रेम सुधारस बरसावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे....॥

निज आन- मान, मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश, जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे....॥
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