भगाये जाओगे (Kahani)

May 1991

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कौए जिस घर की मुँडेर पर बैठते वहाँ से ढेले मार कर उड़ा दिये जाते जब कि कोयल की मीठी वाणी सुनने के लिए आम के पेड़ों के निकट जाते और मधुर कण्ठ का आनन्द लेते।

कौओं ने अपमान से दुखी होकर किसी दूसरे देश में जा बसने का निश्चय किया।

कोयल ने उन्हें समझाया कि यदि तुम कर्कश वाणी बोलने की आदत छोड़ दो तो तुम्हें कहीं भी न जाना पड़े। इस आदत के रहते तो तुम कहीं भी जाओगे वहीं से भगाये जाओगे।


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