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January 1977

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निस्सन्देह मनुष्यों में अत्याधिक पशुता, दुष्टता और कुरता है।, आचरण-है विचार-दर्शन और विधि-व्यवस्थाएँ हैं। जब धर्म की इतने रूपों में उपस्थिति के बावजूद मनुष्यों की यह स्थिति और प्रवृत्ति है तो धर्म की अनुपस्थिति में उनकी क्या दशा होती या हो सकती है?

-फ्रेंकलिन


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