संसार में सभी नर-नारी स्वभावतः शान्ति-प्रेमी होते हैं क्योंकि शान्तिमय जीवन में ही उनको अपना कल्याण दिखाई पड़ता है। केवल थोड़े से असाधारण पेटू-घोर स्वार्थी राजनैतिक व्यक्ति भले ही युद्ध को आदर्श मानें और उसकी प्रशंसा के गीत गायें, पर उनकी गिनती स्वस्थ-समाज के व्यक्तियों में नहीं की जा सकती। संसार के करोड़ों और अरबों लोग ईमानदारी से अपनी मेहनत की रोटी कमाना, गृहस्थी पालन, निर्दोष मनोरंजन करना, किसी धर्म या निष्ठा पर विश्वास रखना, अभागों और जरूरतमन्दों की सहायता करना पसन्द करते है। -ला. हरदयाल