संस्कार एवं पर्वों का सुनियोजित ढंग से मनाया जाना और ऐसे अवसरों पर आवश्यक लोक-शिक्षण होना युग-निर्माण आन्दोलन का आवश्यक अंग है। अस्तु इन्हें व्यापक बनाना और इनके विधि-विधान से सर्वसाधारण को परिचित कराया जाना भी अभीष्ट है। इस प्रयोजन के लिये “अभिनव संस्कार पद्धति” मूल्य 2 रुपया 50 नये पैसे और “पर्वों की प्रेरणा और पद्धति” मूल्य 3 रुपया की दो पुस्तकें छापी गई थीं। उन ग्रन्थों में संस्कार एवं पर्वों का हर बार सभी में काम आने वाला विधान एक जगह और उन अवसरों पर प्रयुक्त होने वाले विशेष विधान पृथक प्रकरणों में थे। थोड़े क्रिया-कुशल व्यक्तियों के लिए उसे समझ लेना कुछ भी कठिन नहीं है, फिर भी नया विषय होने के कारण उस विषय से अपरिचित लोगों के लिए कुछ कठिनाई हो रही और यह माँग की गई कि हर पर्व और हर संस्कार की अलग-अलग ऐसी पुस्तकें हों, जिनमें कुछ समझने सोचने की आवश्यकता न पड़े और अजनबी भी उन पुस्तकों को खोलकर पर्व या संस्कार करा सके।
इस माँग के अनुरूप हर संस्कार, पर्व की अलग-अलग पुस्तकें तो नहीं, पर दो-दो को मिलाकर एक-एक छोटी पुस्तक छपा दी गई है। आयोजन करते समय उपस्थित सुशिक्षितों के पास एक-एक पुस्तक हो तो सभी साथ-साथ मन्त्रोच्चारण करके उस क्रिया-कलाप की शोभा बहुत ही अच्छी रीति से बढ़ा सकते हैं।
पर्व पुस्तकें
(1)श्रावणी पर्व विधान मूल्य 50 नये पैसे
(2)पितृ-अमावस्या पर्व विधान मूल्य 40 नये पैसे
(3)विजया-दशमी और दीपावली पर्व मूल्य 50 नये पैसे
(4)गीता-जयन्ती और बसन्त पंचमी पर्व मूल्य 40 नये पैसे
(5)शिवरात्रि और होलिका पर्व विधान मूल्य 50 नये पैसे
(6)गायत्री-जयन्ती और गुरु पूर्णिमा पर्व मूल्य 40 नये पैसे
संस्कार पुस्तकें
(7)पुँसवन और नामकरण संस्कार मूल्य 40 नये पैसे
(8)अन्न-प्राशन चूड़ाकर्म और विद्यारम्भ मूल्य 40 नये पैसे
(9)यज्ञोपवीत और वानप्रस्थ संस्कार मूल्य 40 नये पैसे
(10)विवाह संस्कार मूल्य 50 नये पैसे
(11)मरणोत्तर और अंत्येष्टि संस्कार मूल्य 50 नये पैसे
(12)जन्म-दिवसोत्सव, विवाह-दिवसोत्सव मूल्य 50 नये पैसे
आयोजनों के अवसरों पर सामान्यतया दस-दस प्रतियाँ इन पुस्तकों की हों तो उतने व्यक्ति मन्त्रोच्चारण करके उत्सव की शोभा और प्रेरणा को बहुत बढ़ा सकते हैं।
पता :- अखण्ड-ज्योति प्रेस, मथुरा