महापुरुषों के विचार-बिन्दु

December 1965

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दूसरों का डाला अंकुश गिराने वाला होता है और अपना बनाया उठाने वाला।

-गाँधीजी

प्रियजनों से भी मोहवश अत्यधिक प्रेम करने से यश चला जाता है और दुनिया में बदनामी होती है।

-रामायण

जो अपना अदब करते हैं, उनका सब अदब करेंगे ही।

-बौकन्सफील्ड

जब तुम किसी दुर्बल मनुष्य को सताने के लिए उद्यत होओ, तो सोचो कि अपने से बलवान् मनुष्य के आगे जब तुम भय से काँपोगे तब तुम्हें कैसा लगेगा?

-तिरुवल्लुवर

“मेरे कहने पर आप पूर्ण विश्वास रखें” ऐसा कहने वाला मनुष्य मानव जाति का कट्टर शत्रु है।

-विवेकानन्द

हर आदमी अपने मत को सच्चा और बच्चे को अच्छा समझता है, लेकिन इसलिये दूसरे के मत या बच्चे को बुरा कहना उचित नहीं है!

-सादी

मोहम्मद साहब की तलवार की मूँठ पर ये वाक्य खुदे हुए थे- जो तेरे साथ अन्याय करे उसे क्षमा कर दे। जो तुझे अपने से काट कर अलग कर दे, उससे मेल कर। जो तेरे साथ बुराई करे, उसके साथ तू भलाई कर और सदा सच्ची बात कह-चाहे वह तेरे ही खिलाफ क्यों न जाती हो!

यदि ‘मोमिन’ होना चाहता है, तो अपने पड़ोसियों का भला कर और यदि ‘मुस्लिम’ होना चाहता है, तो जो कुछ अपने लिए अच्छा समझता है, वही मनुष्यमात्र के लिए अच्छा समझ और बहुत मत हँस क्योंकि निस्सन्देह अधिक हँसने से दिल सख्त हो जाता है।

-अज्ञात

शरीर के लिये किसी औषधि की जरूरत ही न हो, अगर खाया हुआ खाना हजम हो जाने के बाद नया खाना खाया जाय।

-तिरुवल्लुवर

अगर तुझे एक क्षण का भी अवकाश मिले तो तू उसे शुभ कार्य में लगा क्योंकि कालचक्र अत्यन्त क्रूर और उपद्रवी है।

-जयास बिन दलहर्स

असफलता सिर्फ यह साबित करती है कि सफल होने का हमारा इरादा काफी मजबूत नहीं था।

-अज्ञात

बिना आचार के कोरा बौद्धिक ज्ञान वैसा ही है, जैसा कि खुशबूदार मसाला लगाया हुआ मुर्दा।

-गाँधीजी

एक क्षण भी बगैर काम के रहना ईश्वर की चोरी समझो। मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या बाहरी आनन्द का नहीं जानता हूँ।

-गाँधीजी

ईश्वर के रहस्य को तू तभी समझ सकेगा जब कि अपने दिल को साफ बना लेगा।

-जामी

अगर मुझे यह विश्वास हो जाता कि मैं हिमालय की किसी गुफा में ईश्वर को पा सकता हूँ, तो मैं तुरन्त वहाँ चल देता, पर मैं जानता हूँ कि मैं इस मनुष्य जाति को छोड़कर उसे और कहीं नहीं पा सकता!

-गाँधीजी

बादशाह को हजरत मूसा ने उपदेश किया कि भलाई वैसी ही गुप्त रीति से कर, जैसे मालिक ने तेरे साथ की है। उदारता वही है, जिसमें निहोरे का मेल न हो, तभी उसका फल मिलता है।

-अज्ञात

यदि वयस्क लोग उन उपदेशों पर स्वयं अमल करें जो वे बच्चों को देते हैं, तो दुनिया अगले सोमवार को ही स्वर्ग तुल्य हो जाय।

-आर ॰ किंग

दुनिया में इज्जत के साथ जीने का सबसे छोटा और सबसे शक्ति शाली उपाय है कि हम जो कुछ बाहर से दिखाना चाहते हैं, वैसे ही वास्तव में हों भी।

-सुकरात

काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है।

-गाँधीजी

कोई कितना ही बड़ा हो, अन्धों की तरह उसके पीछे न चलो। ‘अमुक आदमी कहे सो वेदवाक्य’ ऐसा मानने वाले को कोई समझदार कहेगा क्या?

-विवेकानन्द

जो अन्याय करता है, वह सहने वाले की अपेक्षा हमेशा अधिक दुर्दशा में पड़ता है।

-प्लेटो

किसी कठिनाई से बाहर निकलने के लिए पहला कदम यह है कि हम इस बात की कुछ जानकारी प्राप्त करें कि हम उसमें कैसे पड़ गये।

-एनन


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