Quotation

June 1961

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>


मनुष्य-जीवन का अधिकांश भाग यही विचारते-विचारते निकल जाता है कि मैं अब जीवन को नाश से बचाऊँगा। फलतः जीवन नष्ट हो जाता है और हम जीवित रहने के उपक्रम में ही व्यस्त रह जाते है।

-इमर्सन

“जीवन सब कलाओं से ऊपर है जो व्यक्तिगत जीवन में पूर्णता लाने का प्रयास करता है वह एक महान कलाकार है।

-महात्मा गाँधी


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: