अविकल जगमग रहे दृगों में
देवि, दिव्य स्मृतियाँ,
दिवा-निशा आयें, पर आने
पाएँ न दुर्मतियाँ।
विलय घन तम का संशय हो हमारा पथ ज्योतिर्मय हो।
पथ के राग-द्वेष प्रलोभन
कण्टक फूल बनें,
जीवन की कल-कल गतियों के
विघ्न अमूल बनें।
प्रेम पयोनिधि के परिचय हो। हमारा पथ ज्योतिर्मय हो।
सौ-सौ शरद सुधाँशु हमारे-
सुमनों को सीचें,
दबा रहे अविवेक ज्ञान रवि-
के पद के नीचे।
स्नेह का दश-दिशि समुदय हो। हमारा पथ ज्योतिर्मय हो।
----***----