परिजनों को कुछ आवश्यक सूचनायें

April 1956

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1 - अप्रैल मास में अखण्ड-ज्योति प्रेस के सभी कार्यकर्ता गायत्री महायज्ञ की व्यवस्था में व्यस्त रहेंगे, इसलिए अखण्ड-ज्योति का अगला अंक 1 मई को न निकल कर 15 मई का निकलेगा। पूर्णाहुति के विस्तृत समाचार एवं चित्र भी उसमें रहेंगे।

2 - विशद् गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति तारीख 20 से 24 अप्रैल ते 5 दिन हैं। इसमें भाग लेने वालों को तारीख 19 की शाम तक मथुरा पहुँच जाना चाहिए। ताकि 20 से आरम्भ होने वाले कार्यक्रमों में प्रातःकाल से ही भाग लेना संभव हो सके। स्टेशनों पर तपोभूमि के स्वयं सेवक उपस्थित रहेंगे जो नियत स्थान तक पहुँचाने में सहायता देंगे।

3 - जिन्होंने स्वीकृति प्राप्त करली है किंतु आना संभव नहीं, उन्हें अपने न आने की सूचना तुरन्त ही देनी चाहिए। ताकि उनके लक्ष से की हुई भोजन, ठहरने आदि की व्यवस्था बर्बाद न जाये। नियत संख्या में ही स्वीकृतियाँ दी गई हैं इसलिए सूचना न देने पर किसी आने वाले का अधिकार भी मारा जाता है। इसीलिए स्वीकृति प्राप्त सज्जनों को न आने की सूचना देना आवश्यक है। इसी प्रकार जिनके साथ स्वीकृति प्राप्त सज्जनों के अतिरिक्त और कोई भी आना चाहे वे भी इसकी सूचना दे दें, ताकि उनके लिए ठहरने आदि की व्यवस्था करने में असुविधा न हो।

4—स्वीकृति पत्रों के साथ यज्ञ में पालन करने योग्य नियमों का छपा पर्चा भेजा जा चुका है, उसे एकबार पुनः पढ़लें ताकि उन नियमों का यहाँ आकर पालन करने में अड़चन न पड़े।

5—जो गायत्री उपासक मथुरा न आ सकें, उन्हें ता॰ 24 अप्रैल का अपने यहाँ एक सामूहिक हवन करने की व्यवस्था करनी चाहिए, जिसमें गायत्री मन्त्र से आहुतियाँ दी जायं। इस प्रकार गायत्री महायज्ञ से सम्बन्धित सभी व्यक्ति यों को उस दिन हवन करना चाहिए। उस दिन कितनी आहुतियाँ दीं, इसकी सूचना मथुरा भेज देनी चाहिए। पूर्णाहुति में नारियल चढ़ाने का विधान है;सो जो मथुरा न आने वाले गायत्री उपासक हमें सूचित कर देंगे, उनका यह नारियल, घृत भर कर यहाँ पूर्णाहुति में होम दिया जायगा।

6—सभी के लिए तम्बू, रावटियों में ठहरने एवं रोटी, चावल आदि कच्चे भोजन की व्यवस्था की गई है। जिनको असुविधा जनक हो वह अपनी स्वतन्त्र व्यवस्था कर सकते हैं। ठहरने के लिए मथुरा शहर में भी कुछ धर्मशालाओं का प्रबन्ध किया जा रहा है।

7—जिनको यज्ञोपवीत एवं विधिवत् गायत्री मंत्र लेने हों, वे उसकी सूचना इस मास फिर एक बार दे दें, ताकि उनके लिए विधान का सामान जुटा रखा जाय।

8—जिन्हें वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल आदि की यात्रा करना अभीष्ट हो, उनकी सूचना भी पहिले ही दे देनी चाहिए। उन दिनों विवाह, शादी के सालग होने के कारण सवारी का प्रबन्ध पहले ही करना पड़ेगा, ताकि सवारी न मिलने या महंगी मिलने की अड़चन से बचा जा सके।

9—जो माताएं अपने छोटे बालकों की परवश में समुचित व्यवस्था नहीं कर पातीं, उन्हें स्वयं को, बालकों को, तथा पास वालों को बड़ी असुविधा होती है। इसलिये छोटे बालकों वाली केवल वे ही माताएं आवें, जो अपने बालकों की समुचित व्यवस्था कर सकें।

10—संस्कृति शिक्षा शिविर, पूर्णाहुति समाप्त होते ही आरम्भ हो जायेगा। जिन्हें उसमें ठहरना हो, वे एक मास और ठहरने का अवकाश लेकर आवें एवं अपने निश्चय की पूर्व सूचना दे दें।

11—अगले वर्ष देश के विभिन्न स्थानों पर 108 गायत्री महायज्ञ एवं साँस्कृतिक सम्मेलन कराने का विचार है, जिन्हें अपने यहाँ ऐसे आयोजन कराने की इच्छा हो, उन्हें अपने निकटवर्ती लोगों का उत्साह मालूम करके आना चाहिए, ताकि उस आधार पर वहीं के कार्यक्रम बनाये जा सके।

12—जिन सज्जनों पर गायत्री ज्ञानांकों का, पुस्तकों का, हिसाब उधार चला आता है उनमें प्रार्थना है कि वह पैसा पूर्णाहुति से पूर्व ही भेज देने की कृपा करें, ताकि इन दिनों भारी आवश्यकता के समय वह पैसा काम आ सके।

13—साँस्कृतिक पुनरुत्थान योजना का विधिवत् श्रीगणेश-गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ आरम्भ किया जायगा। इसके लिये प्रकाशवान् आत्माओं को सक्रिय रूप से कुछ करना होगा। योजना गत अंक में प्रकाशित की जा चुकी है। हम में से कौन व्यक्ति अपने जिम्मे क्या कार्य लेंगे और अपने क्षेत्र में क्या कार्य आरम्भ करेगा, यह विचार करने में लगना चाहिए और उसकी एक क्रमबद्ध योजना बना कर साथ लाना चाहिए ताकि उस पर विचार-विनिमय हो सकेगा। सब लोग अपने-अपने क्षेत्र में कार्य आरम्भ करें, इसी प्रकार देश व्यापी आयोजन हो सकेंगे।

14—व्रतधारी, कर्मयोगी और बलिदानी आत्माएं का अपना लिखित और मौखिक संकल्प पूर्णाहुति के समय विधि-विधान पूर्वक सुव्यवस्थित संस्कारों के साथ होंगे। गतमास के अंक में पृष्ठ 32 पर छपे लेख को ध्यान पूर्वक पढ़ें और अपनी स्थिति जिस श्रेणी के उपयुक्त समझें, उसमें सम्मिलित होने की तैयारी करके आवें।

15—पूर्णाहुति के समय देश भर के सुप्रसिद्ध विद्वानों नेताओं एवं सुप्रसिद्ध तपस्वियों को बड़ी संख्या में पधारना होगा। भारती पार्लियामेंट (लोक सभा) के अध्यक्ष भी अनन्त शयनं। ता॰ 20 अप्रैल को उद्घाटन करेंगे। ता॰ 24 को मा. श्री गोविन्दवल्लम् पन्त पूर्णाहुति करेंगे।

19—जो सज्जन इस पूर्णाहुति उत्सव में नहीं आ सकेंगे, उनको भी समुचित जानकारी मिल सके इस दृष्टि से 1 मई की जगह 15 मई को निकलने वाली अखण्ड-ज्योति का पाँचवाँ दिन के कार्यक्रम का विवरण आगामी योजनाओं का कार्यक्रम तथा विभिन्न घटनाओं के अनेकों चित्र छपेंगे। सिनेमा में दिखाई जा सकने वाली फिल्म भी इस अवसर पर तैयार की जायगी, जिसमें चिरकाल तक इन पुनीत दृश्यों को देख सकने का आनन्द लिया जा सके।

17—असुरता ने महायज्ञ के पन्द्रह महीनों में इस महान् अभियान को नष्ट करने के लिए इतने आक्रमण किये हैं, जिनका विस्तृत वर्णन यदि कभी पाठकों का सुनने का मिला तो उनके रोमाञ्च खड़े हो जाएंगे। ऐसे महान् यज्ञों के द्वारा असुरता के अस्तित्व का आघात पहुँचता है। मरता क्या न करता। विश्वामित्र आदि के यज्ञों पर इसलिए ताड़का, मरीच आदि असुर आक्रमण करते थे और उन्हें नष्ट कर डालने के लिए कोई भी माया उठा न रखते थे। इस यज्ञ में भी ऐसा ही होता रहा है। अब पूर्णाहुति बड़ा मोर्चा है, इस अवसर पर असुरता अपने अनेकों अस्त्र-शस्त्रों के साथ सुसज्जित हो रही है। देवताओं के हारने और असुरों के जीतने के अनेकों उदाहरण मौजूद हैं। इस अवसर पर भी ऐसा हो सकता है। इसलिए देव-सेवा के प्रत्येक सैनिक को समुचित जागरुक रहने की आवश्यकता है। जो मथुरा इस अवसर पर न आवें, वे इन पाँच दिनों पूर्णाहुति की सुरक्षा के लिए कुछ जप, तप, हवन, पुण्य इसी प्रकार करें, जिस प्रकार ग्रहण काल में सूर्य, चन्द्र की सहायता के लिए धार्मिक लोग करते हैं। ता॰20 से 24 तक पाँच दिनों प्रत्येक परिजन को यज्ञ की, यज्ञ संचालकों की, पूर्णाहुति की सुरक्षा के लिए कुछ विशेष तपस्या करने के लिए विशेष अनुरोध पूर्वक करबद्ध प्रार्थना है।


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