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September 1952

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—अपने से पूरा न हो सके ऐसी शर्त मारे, बिना काम बड़-बड़ावे सभा में बिना बतलाये बोल उठे, बिना बुलाये पर घर जावे, चोर को मित्र बनावे, बिना इजाजत किसी की वस्तु को हाथ में लेकर देखने लग जाए, किसी वस्तु को अनधिकार लेने की चेष्टा करे वह मूर्ख है।

—समर्थ के साथ मत्सर करे, अलभ्य वस्तु की आशा करे, अपने ही घर में चोरी करे, घमंड के साथ बात करे, बायें हाथ से जल पीये एवं शौचादि करते बोले वह मूर्ख है।

—ईश्वर को भूलकर मनुष्य पर विश्वास करे, निरर्थक अपनी आयु को नष्ट करे, संसार दुःख से भरा है-ऐसा जान कर भी विषयों में फँसे, और मित्रों को भला बुरा कहे, दूसरे के आश्रम में बिना कहे उच्चासन पर बैठे बहुत मूर्ख है।

—लक्ष्मी मिलने पर पहली पहचान भूल जावे, अपने स्वार्थ तक नम्रता दिखलावे स्वार्थ निकलने पर कृतघ्न हो जावे वह मूर्ख है।


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