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October 1952

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—भगवान में लग जाना यही सर्वोत्तम भाग्य है, बाकी तो सब कुछ अभाग्य ही है। बड़ी से बड़ी सम्पत्ति भी प्राप्त हो गई, अधिकार भी प्राप्त हो गया, सम्मान का सेहरा भी बँध गया, पर यदि वे सब भगवान के प्रतिकूल हैं तो बहुत बड़ी अभाग्यता है। अतः जीवन में जो सबसे बड़ी बात करनी है, वह है—”जीवन की गति को भगवान की ओर मोड़ देना।

—मनुष्य के जीवन का एक-एक क्षण बहुमूल्य है। प्रत्येक क्षण भगवान की प्राप्ति में हेतु बन सकता है, इसलिए जीवन का कोई भी क्षण प्रमाद में, न करने योग्य कर्मों में या व्यर्थ में कभी नहीं जाना चाहिए।


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