मन्त्र लेखन महायज्ञ

June 1952

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इस गायत्री जयन्ती पर 24 लक्ष हस्तलिखित गायत्री मन्त्र माता के चरणों पर समर्पित करने का जो संकल्प था वह पूरा हो गया। अब ऐसा निश्चय किया गया है कि प्रत्येक गायत्री उपासक के हाथ के लिखे हुए मन्त्र गायत्री मन्दिर में एकचित्र किये जाएं और सब की सम्मिलित श्रद्धा का एक केन्द्रीय एकीकरण किया जाय। इतने उपासकों की भावना, तपस्या, श्रम, साधना, श्रद्धा, आत्मशक्ति का एक स्थान में एक प्रचंड, ब्रह्म तेज प्रज्ज्वलित रहेगा और उस स्थान पर बैठने मात्र से किसी भी अशान्त व्यक्ति को शान्ति मिल सकती है। इस आध्यात्मिक शक्ति संस्थान में प्रत्येक गायत्री उपासक को अपना भाग देना चाहिए।

इस गायत्री जयन्ती (जेष्ठ सुदी 10) से लेकर आश्विन मास की नवरात्रि तक प्रत्येक उपासक से 2400 मंत्र लिखकर भेजने की प्रार्थना है। जो इतना न कर सकते हों वे कम से कम 240 मंत्र अवश्य लिखें। लिखते समय की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। स्कूली कापी साइज की कापी ही उपयुक्त होगी। छोटे या बड़े साइज के कागज पर लिखने से उनकी बेसाइज जिल्दों को संभाल कर रखने में यहाँ बड़ी असुविधा होगी। आशा है उपासक बन्धु इस मन्त्र लेखन महायज्ञ में अपना सहयोग अवश्य देंगे।


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