स्वप्न सच भी होते हैं।

June 1952

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(श्री ‘सत्य भक्त’ जी प्रयाग)

स्वप्न दरअसल क्या चीज हैं और वे किस कारण दिखलाई पड़ते हैं इसका पता आज तक ठीक ठीक नहीं लग सका है। कोई उनको शारीरिक विकार समझता है और कोई शुभाशुभ का सूचक मानता है। कोई उन्हें सूक्ष्म-जगत् के दृश्य बतलाते है।

यह तो हम नहीं कह सकते कि सभी स्वप्न एक बराबर सारगर्भित और तथ्यपूर्ण होते हैं, पर कभी कभी स्वप्न की घटना ऐसी सत्य हो जाती है कि उसे सुनकर चकित रह जाना पड़ता है। इस सम्बन्ध में जम्मू से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक पत्र ‘दीपक’ में छपा एक समाचार नीचे उद्धृत किया जाता है :—

लुधियाना, 1 अगस्त

“स्थानीय पुराना बाजार के एक ब्राह्मण के पास एक झीवर नौकर था। वह नित्य प्रातःकाल पूजा के लिए विल्ववृक्ष पर चढ़ विल्वपत्र तोड़ लाया करता था। एक रात झीवर ने स्वप्न देखा कि मैं विल्वपत्र तोड़ रहा हूँ और नीचे खड़ा एक भैंसा कह रहा है कि उतरते ही मैं तुमको मार डालूँगा। प्रातःकाल वैसा ही हुआ और वह भयभीत हो गिरकर मर गया।”

इस उदाहरण से साबित होता है कि कम से कुछ स्वप्न जरूर सच होते हैं और उनके द्वारा होनहार घटनाओं का ज्ञान हो सकता है। कितने ही पाठकों के लिए शायद यह बात आश्चर्यजनक जान पड़ेगी कि स्वप्नों के आधार पर कितनी ही बार अदालतों में बड़े रहस्य पूर्ण मुकदमों का निर्णय किया गया है। एक लेखक के कथानुसार इंग्लैण्ड की लोरिपोर्टो में कम से कम छः मुकदमे ऐसे मौजूद हैं। इन सबमें अधिक रहस्यपूर्ण घटना वह है जिसमें हत्या का स्वप्न एक स्त्री को कई घण्टे पहले दिखाई पड़ा था। घटना इस प्रकार है :—

सन् 1800 से कुछ वर्ष बाद की बात है कि आयरलैण्ड के पोर्टलो नामक गाँव में एक छोटा सा होटल (पब्लिक हाउस) था जिसका मालिक राजर्स बड़ा लोकप्रिय व्यक्ति था। उसके होटल में सुबह से लेकर आधी रात तक आस पास के ग्राम निवासियों की भीड़ लगी रहती थी।

एक दिन राजर्स होटल खोलने की तैयारी कर रहा था कि उसकी स्त्री ने आवाज देकर उसे ऊपर बुलाया। उसने जाकर देखा कि वह बिस्तर पर पड़ी है और उसका चेहरा भय से पीला पड़ गया है। पूछने पर कहने लगी कि उसने एक बड़ा भयंकर सपना देखा है जिससे उसका कलेजा अब धड़क रहा है। फिर उसने कहा :—

“सपना ऐसा स्पष्ट और असली जान पड़ता था कि डर के मारे मेरी जान निकलने लगी। जग जाने पर भी कई मिनट तक मैं यह विश्वास न कर सकी कि मैं अपने घर में हूँ।”

राजर्स इस तरह की बातों पर ध्यान देने वाला आदमी न था। उसने हँस कर कहा—’सपने की बातों से इतना डरना ठीक नहीं।”

स्त्री बोली—”यह सच है कि बह सपना ही था, पर मुझे अब भी साफ साफ दिखलाई पढ़ रहा है कि दो आदमी, जो पहनावे से जहाजी मल्लाह जान पड़ते थे और जिसमें से एक लम्बा था और दूसरा नाटा, हमारे होटल में आये। वे खूब हँस हँस कर बातें कर रहे थे। नाटा आदमी ही ज्यादा हंसता था। मैंने उन को हाथ में हाथ डाले हुए कैरिक गाँव की सड़क पर जाते देखा। चलते चलते उनको शाम हो गई। तब मैंने देखा कि लम्बा आदमी जरा पीछे रह गया और उसने मरे हुए आदमी की जेब से रुपया पैसा निकाल लिया और बाद में उसे झाड़ी के भीतर गाढ़ दिया। उस झाड़ी को मैं बहुत अच्छी तरह जानती हूं, क्योंकि हम वहाँ कितनी ही बार घूमने को जा चुके हैं।”

पति ने बिना ज्यादा ध्यान दिये कहा—”खैर, यह सब सपना ही तो है, इसके लिए ज्यादा फिक्र मत करो। उठकर जल्दी से जलपान कर लो। आज का दिन सुहावना जान पड़ता है, इसलिए शायद होटल के काम में मदद करने की तुम्हारी जरूरत पड़े।”

राजर्स का कहना ठीक निकला। दस बजते- बजते उनका होटल ग्राहकों से भर गया, जिनमें ज्यादातर बाहरी लोग थे। राजर्स और उसकी स्त्री ग्राहकों को शराब और खाने की चीजें पहुँचाने के लिए इधर-उधर दौड़ रहे थे। राजर्स और उसकी स्त्री ने एकाएक उसकी बाँह को पकड़ कर खींचा। वह कुछ असन्तुष्ट होकर उसकी ओर मुड़ा। स्त्री ने उसके कान में कहा कि जिन दो आदमियों को मैंने सपने में देखा था वे होटल में इसी समय दाखिल हुए हैं।

राजर्स ने एक बार जल्दी से उनकी ओर निगाह डाली और यह देखकर वह दंग रह गया कि उनका रंग-रूप तथा पहनावा बिल्कुल वैसा ही था जैसे उसकी स्त्री ने सपने में देखा था। इस बात का उस पर इतना असर पड़ा कि होटल में भीड़ रहने पर भी वह बराबर उनकी निगरानी करता रहा और उनकी बातें जहाँ तक बन पड़ा कान लगाकर सुनता रहा। इन बातों से उसने इतना पता लगा लिया कि उनमें से लम्बे आदमी का नाम फ्रेडरिक कालफील्ड है और नाटे का जैक हिकी। वे दोनों हाल ही में अमरीका से लौटे हैं और जहाज पर ही उन दोनों की मुलाकात हुई है। यह भी मालूम हुआ कि हिकी ने न्यूफाउण्डलैण्ड में मछली के रोजगार में काफी रुपया पैदा किया है।

उस समय इससे ज्यादा कुछ न हुआ। उन दोनों के चले जाने के बाद राजर्स और उसकी स्त्री दूसरे कामों में पड़ कर इस विषय को भूल ही गये।

दो महीने बाद एका एक उन्होंने किसी के मुँह से सुना कि हिकी नाम का शख्स कहीं गायब हो गया है और इससे उसके घर वालों और मित्रों को बड़ी चिन्ता हो रही है।

इस खबर को सुनकर राजर्स और उसकी स्त्री सन्न रह गयी और उन्हें ऐसा जान पड़ने लगा मानों वे ही इस हत्या के कसूरवार हैं। भय के मारे कई दिन तक तो उन्होंने इस बात का किसी से जिक्र करने का साहस ही नहीं किया। राजर्स खास तौर पर इस बात के खिलाफ था कि क्यों ऐसी बात को मुँह से निकाल कर मुँगत क्यों झंझट मोल लिया जाय। पर उसकी स्त्री को चैन नहीं पड़ा। उसका कहना था कि किसी दैवी शक्ति ने उसे समय से पहले यह रहस्य सपने के रूप में बतला दिया था। अब उसका कर्तव्य है कि वह इस बात को जाहिर करके सरकारी अधिकारियों को न्याय करने में मदद दे। इस मामले को लेकर कई दिन तक पति पत्नी में झगड़ा भी होता रहा। अन्त में वह राजर्स को लेकर स्थानीय मैजिस्ट्रेट के पास पहुँच ही गई।

उसने सपने वाली घटना इस प्रकार डरते-डरते बतलाई कि मैजिस्ट्रेट को शक हुआ कि उसे किसी तरह की दिमागी बीमारी है। चूँकि वे कस्बे के प्रसिद्ध व्यक्ति थे और भले आदमी माने जाते थे, इसलिए उसने इसकी जाँच करना उचित समझा। स्त्री की बताई हुई जगह को कुछ ही खोदने पर मनुष्य की टाँगे दिखाई पड़ी और थोड़ी देर में मैक हिकी का शव बाहर निकल आया।

फ्रेडरिक कालफील्ड की गिरफ्तारी पर जितना आश्चर्य उसके परिचितों को नहीं हुआ, उससे ज्यादा उसको स्वयं हुआ। उसे इस बात का गुमान भी न था कि इस हत्या का भेद कभी जाहिर हो सकेगा। उसने यह काम बहुत होशियारी से किया था और हिकी के गायब होने के बाद लोगों ने यही समझ था कि या तो वह फिर और रुपया कमाने को अमेरिका लौट गया या अपनी कमाई को खर्च करने इंग्लैण्ड चला गया। अगर कालफील्ड को इस बात का जरा सा भी शक होता कि उसका पाप जाहिर हो जायगा तो कभी का किसी जहाज पर नौकरी करने विदेश चला गया होता।

मुकदमा चलने पर कालफील्ड के वकील ने सपने को हँस कर उड़ा देने की कोशिश की। उसने राजर्स की स्त्री से बड़ी जोरदार जिरह की। उसने यहाँ तक कहा कि इस खून का ताल्लुक राजर्स और उसकी स्त्री से ही जान पड़ता है। उन्होंने जैक हिकी के पास बहुत-सा रुपया देखकर लालच में आकर उसे मरवा डाला और बाद में यह सपने की कहानी गढ़ ली।

पर राजर्स की स्त्री पर इन बातों का कुछ भी असर न पड़ा। वह बराबर अपनी बात पर कायम रही और हर एक सवाल का जवाब बिना जरा भी घबड़ाये ठीक-ठीक देती रही। आखिर में जब जूरी ने मुलजिम को दोषी करार दिया तो उसकी जवान पर लगा ताला खुल गया। उसने अपना कसूर मंजूर किया और कहा कि उसने धन के लालच में पड़ कर हिकी की हत्या ठीक उसी तरह की थी जैसा कि राजर्स की स्त्री ने सपने में देखा था।

इस अद्भुत सपने की घटना से एक भीषण हत्या का फैसला होते देख कर सभी देखने और सुनने वाले चकित रह गये। शुरू में कुछ लोग इसे किसी प्रकार की चालाकी या षड़यंत्र समझते थे, पर कालफील्ड के इकबाल कर लेने पर सन्देह की गुंजाइश ही न रही। फैसला करने वाले जज ने भी “इस मामले में ईश्वर ने स्वयं हस्तक्षेप किया है और वह भी बड़े अनोखे ढंग से।”


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