गायत्री मन्दिर की पुणय प्रगति

December 1951

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आप भी अपनी श्रद्धाँजलि चढ़ाने में,

पीछ न रहिए।

गत मास के अड़क में श्री रामदास विष्णु पाटिल का गायत्री मन्दिर सम्बन्द्यी लेख प्रकाशित हुआ था। जिसमें इस पुण्य तीर्थ की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गयी थी। सचमुच यह एक अद्भुत अभाव है कि भारतीय संस्कृति आर्य सभ्यता, हिन्दू ज्ञान विज्ञान की उदूगम ज्ञान गंगा गायत्री--का भारत वर्ष में कोई ऐसा केन्द्रीय स्थान नहीं है जहाँ इस विद्या का साधन,अध्ययन,शोव,अन्वेषण,तप एवं आराधना की सुविधा हो।

गायत्री-1 भारत भूमि को भारतीय धर्म की आत्मा है। यह आत्मा जब से प्रसुप्त अवस्था में चली गई तभी से हमारा ज्ञान विज्ञान,बल,पौरुष,धन,यश सब कुछ लोगाया। जब वह आत्मा जागेगी तभी हमारे देश, धर्म एवं समाज का जागरण होगा। इस जागरण के लिये हमें गायत्री की शंखध्वनि का तुमुल नाद करना होगा। इस योजना के लिए एक केन्द्रीय तीर्थ की कितनी भारी आवश्यकता है, इन संबंध में इदो मत नहीं हो सकते।

ऐसे तीर्थ का निर्माण करना असाधारण पुण्य है। कारण की भारतीय धर्म की आत्मा को जगाने का आध्यात्मिक अनुष्ठान, जहाँ पर नियोजित हो, उस स्थान के निर्माताओं को इसी एक पुण्य से इतना महान फल मिल सकता है, जिसकी तुलना में अन्य सहस्रों पुण्य मिल कर भी हलके बैठें। यश की दृष्टि से देखा जाय ते भी उन महानुभावों को इतिहास में अमर रहने का अवसर मिलेगा। इस पुण्य तीर्थ द्वारा असंख्य आत्माओं का जो कल्याण होगा उसमें से एक एक कण भी ब्याज रूप से उन निर्माताओं को मिलता रहे तो उनके कल्याण के लिए पर्याप्त है। इस संवंध में जुलाई के अकं में श्री गरीवदास जी तथा नवम्बर के अें में श्री रामदास जी पटेल समुचित प्रकाश डाला है।

प्रसन्नता की बात है कि कई सुविधा सज्जनों का यह बहुत महत्व की प्रतीत हुई है और उन्होंने अपनी समर्थ के अनुसार अपनी श्रद्धाँ जलिभट की है। आर्थिक दृष्टि से लाचारण होते हुए भी जिन सज्जनों न इतना साहस किया है, उन्होंने एक प्रकार से धनी सज्जनों को चुनौती दी है कि वे चाहें तो अपने पैसे को सफल बनाने के इस अलभ्य अवसर से लाभ उठा सकते हैं, जिससे यज्ञ का, पुण्य का, लोकहित का, आत्म कल्याण का र्ध्मा वृद्धि का, ईश्वर उपासना का इतनी अधिक संमिश्रण हो ऐसे पुण्य कार्य कभी कभी ही सामने आते हैं और उनसे कोई विरले भाग्यशाली ही अपने आप को धन्य कर पाते हैं।

गायत्री तीर्थ निमार्ण में अपनी श्रद्धाँजलि अर्पित करना ऐसा ही अवसर है, जिनकी आत्मा में प्रेरणा हो, वे कंजूसी पर विजय प्राप्त करके माता के चरणों पर अपनी भेंट प्रस्तुत करें। प्राप्त हुई सहायताएं अखंड ज्योति में प्रकाशित होती रहेंगी।

इस मास में प्राप्त हुई सहायताएं-

501) श्री हरमान भाई सोमाभाई पटेल सापदानपुरा, 120)श्रीमती प्रेमकली देवी धर्मपत्नी बा. ओश्मप्रकाश जी मुख्तार, नुकड़ 101) श्री जे. एच. हैजस्टे अहमदाबाद 101) श्री अयोया प्रसाद जी दीक्षित खलासी लेन, कानपुर, 101) श्री मुनिनाथ सिंह जी सब इंस्पेक्टर पुलिस, बायरलैस इंचार्ज, मिर्जापुर 11) रश्री रामनिवास खंडेलवाल, सोहिवगंज 10) श्री वृज मोहन जी गुप्ता, हजारी बाग, 10) मुन्शी वैजनाथ जी तिवारी, जबलपुर, 5) महात्मा निर्भयानन्द जी अकटईया।


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