-आत्मा का ज्ञान प्राप्त करना हमारा सबसे पहला और आवश्यक कर्त्तव्य है। आत्मज्ञान चरित्र द्वारा प्राप्त होता है। चरित्रवान् व्यक्ति सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह निर्भयता आदि व्रतों का पालन करते हुए देखे जाते हैं। वे प्राण दे देने पर भी सत्य को न छोड़ेंगे। स्वयं नरक जाएँगे, स्वयं दुःख उठाएंगे, परन्तु दूसरों को दुःख न देंगे।
*****
-बिना धर्म का जीवन, बिना सिद्धान्त का जीवन होता है, और बिना सिद्धान्त का जीवन वैसा ही है जैसा कि बिना पतवार का जहाज। जिस तरह बिना पतवार का जहाज इधर से उधर मारा-मारा फिरेगा और कभी उद्दिष्ट स्थान तक नहीं पहुँचेगा, उसी तरह धर्म हीन मनुष्य भी संसार में इधर से उधर मारा मारा फिरेगा और कभी उद्दिष्ट स्थान तक नहीं पहुँचेगा।
*****
-सबल की सबलता विरोधी को प्रेम से जीत लेने में है, मद से कुचल डालने में नहीं।