बुद्धिमान पुरुष रात्रि के पहले और आखिरी पहर में भगवान का ध्यान करता है, भोजन कम करता है और मन को शुद्ध बनाता है। इस तरह वह अपनी आत्मा में ही परमात्मा के दर्शन करता है।
-वशिष्ठ
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शत्रु, ऋण, अग्नि और रोग को कभी थोड़ा नहीं समझना चाहिए, ये बढ़ते ही जाते हैं इसलिए इन्हें कम करने का यत्न करना चाहिए।