जिसके पास ज्ञान नहीं हैं, श्रद्धा नहीं है और मन संशय से भरा हुआ है। वह नष्ट हो जाता है। संशय वाले पुरुष के लिए न सुख है, न लोक है और न परलोक है -गीता
योगी पुरुष आत्मशुद्धि के लिए शरीर मन, बुद्धि और केवल इन्द्रियों से भी कर्म करते है, परन्तु वे इन कर्मों को आसक्ति छोड़ कर ही करते हैं।
-गीता