यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा

May 1949

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मैं अकम्पित दीप प्राणों का लिए-

यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?

बन्द मेरी पुतलियों में रात है।

ह्रास बन बिखरा अधर पर प्रात है।

मैं पपीहा मेघ का, मेरे लिए-

जिन्दगी का नाम ही बरसात है।

साँस में मेरी उनचासा पवन-

यह प्रलय पवमान मेरा क्या करेगा?

यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?

कुछ नहीं डर वायु जो प्रतिकूल है।

और पैरों में कसकता शूल है।

क्योंकि मेरा तो सदा अनुभव यही -

राह पर हर एक काँटा फूल है।

बढ़ रहा जब मैं लिए विश्वास यह-

पंथ फिर वीरान मेरा क्या करेगा?

यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?

मुश्किलें मारग दिखाती हैं मुझे।

आफतें बढ़ना बताती हैं मुझे।

पंथ की उत्तुँग दुर्गम घाटियाँ-

ध्येय-गिरि चढ़ना सिखाती हैं मुझे।

एक भूपर, एक नभ, पग मेरा-

यह पतन उत्थान मेरा क्या करेगा? यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा? -हिन्दुस्तान


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