स्वर्ग और पृथ्वी में बहुत भेद नहीं है। श्रम और प्रेम दोनों साथ हों तो स्वर्ग बन जाता है। ये दोनों पृथक हो जाएँ तब पृथ्वी बनती है।
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मुझे दो वस्तुएँ सबसे प्यारी है- श्रम और दुःख! दुःख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता, श्रम के बिना मनुष्यत्व को नहीं समझा जा सकता।
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चार बातें नहीं भूलनी चाहिए (1) बूढ़ों का आदर करना (2) छोटों को सलाह देना (3) बुद्धिमानों से सलाह लेना (4) मूर्खों से न उलझना।
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यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती है।