अपने व्यक्तित्व का गौरव अक्षय बनाए रहो। चुलबुलापन और बकवाद तुम्हारे व्यक्तित्व के नाश के कारण हो सकते हैं।
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मनुष्य संसार का अपनी इच्छा और रुचि के अनुसार पुनःनिर्माण नहीं कर सकता। उसे ही साँसारिक परिस्थिति के अनुकूल अपने आपको बना लेना होता है। संसार सार्वजनिक आवश्यकताओं के लिये बना है। व्यक्ति को अपनी आकांक्षाएं सार्वजनिक आवश्यकताओं में अन्तर्भूत कर देनी चाहिए।
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किसी के हृदय की बात को वास्तविक रूप से समझ लेना ही उसका मूल्य अंकित करना है।
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दूर से भौंकने वाला कुत्ता काटता नहीं है।
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सिसोरो के अनुसार भी चुप रहना संलाप कला में एक विशिष्ट स्थान रखता है। उसका कहना है कि चुप रहना एक कला ही नहीं वाक् प्रवीणता भी है।