प्रातःकाल उठिये।

March 1944

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(महात्मा जेम्स ऐलान)

आध्यात्मिक जागृति का होना शारीरिक शक्तियों की जागृति का होना है। आलसी तथा विषयासक्त मनुष्य कभी सत्य का ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकता। जो मनुष्य स्वास्थ्य और शक्ति के अमूल्य समय को-ब्रह्म मुहूर्त को - शय्या पर पड़ा पड़ा खो देता है वह स्वर्गीय सुख को प्राप्ति के लिए नितान्त अयोग्य है।

वह मनुष्य जिसकी बुद्धि जागृत होने लग गई है, जिसको उच्च संभावनाओं का ज्ञान होने लग गया है और जिसने जगत् को परिवेष्टित करने वाले अन्धकार को भगाना आरंभ कर दिया है। तारागणों के छिपने से पूर्व ही उठ बैठता है और पवित्र भावनाओं के सहारे अन्तः करण के अन्धकार को भगाते हुए सत्य के प्रकाश को प्राप्त करने लिए यत्न करना उसका प्रथम कर्त्तव्य होता है, इसके विपरित इस प्रभात समय में सोने वाले तामसिक अन्धकार में डूबे रहते हैं।

जिन बड़े अधिकारों तथा उच्च स्थानों को महान पुरुषों ने प्राप्त कर उनका उपयोग किया है, वे केवल छलाँग मारकर एकाएक इतने ऊँचे नहीं पहुँचे थे, बल्कि जब उनके साथी सोया करते थे तब वे जागकर उन्नति के लिए परिश्रम किया करते थे।

आज तक कोई ऐसा पवित्रात्मा साधु या सत्य प्रचारक नहीं हुआ है जो प्रातः उठता न रहा हो, ईसा मसीह को सवेरे उठने का अभ्यास था और वह प्रभात में ही ऊंचे एकान्त पहाड़ों पर चढ़कर पवित्र भावनाओं पर ध्यान लगाते थे। बुद्ध भगवान एक घंटा तड़के उठ कर ध्यानस्थ हो जाते थे उनके तमाम शिष्यों को ऐसा ही करने की आज्ञा थी।


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