उठो, हिम्मत करो!

February 1940

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(ले.-श्री. स्वामी सत्यदेव जी परिव्राजक)

जीवन शोक करने के लिए नहीं है। यह जिन्दगी करने के वास्ते है। अपने रास्ते में पड़ी हुई रुकावटें देखकर घबरा मत जाओ। ये रुकावटें आपकी हित चिन्तक हैं। ये जीवन को उन्नत करने के साधन हैं।

इस संसार में प्रत्येक आत्मा का कोई न कोई ड़ड़ड़ड़ है। सर्वज्ञ कर्ता ने कोई वस्तु निरर्थक उत्पन्न नहीं की है। महान यंत्र का प्रत्येक पुर्जा किसी अभिप्राय की ड़ड़ड़ड़ लिए है। सोचो, वह अभिप्राय कौन सा है?

यदि आपने उस अभिप्राय को जान लिया। उसको सिद्धि के हेतु आपको बड़ी बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, तो भी विश्वास करो कि कठिनाइयों को दूर करने के साधन भी वहीं मौजूद हैं। साधनों को जानना, उनका ठीक ठीक प्रयोग करना, उसी अनुसार कार्य सिद्ध करना, यही सच्चा जीवन है, आपने ऐसा किया है?

यदि ऐसा किया होता तो कभी भी यह उदासीनता न आती। उदासीनता का आ द्योतक जाना ही इस बात का है कि आपने अपने जीवनोद्देश्य को नहीं समझा और हिम्मत हारे बैठे हैं। संसार आपको दुख मय बोध होता है। सब भाई बन्धु मित्र, आपको अपने शत्रु जान पड़ते हैं। आप जिधर दृष्टि उठाते हैं कष्ट ही कष्ट दीखते हैं। निराशा आपको आत्मघात करने के लिए कहती है क्या इससे आपके दुखों का अन्त हो जायगा?

कभी नहीं, हरगिज नहीं। आप एक जगह से भाग दूसरी जगह जाना चाहते हैं लेकिन जहाँ आप जायेंगे, संकल्प विकल्पों का चिट्ठा साथ ले जायेंगे। वह पीछा नहीं छोड़ेगा। आप जहाँ जायेंगे, वहीं यह भूत साथ जायगा। यदि स्वर्ग में आप पहुँच जायें तो वह नरक दिखाई देगा। आप इस भूत को पीछे नहीं छोड़ सकते। इस भूत को यहीं मार कर भगाना ठीक है। इस निराशा के जाल को यहीं काट सकते हैं। उदासीनता छोड़ कर ऊपर दृष्टि डालिये। अपनी आत्मा को इन लताओं से विमुक्त कीजिये ईश्वर ने यह जीवन काम करने के लिए दिया है। इस जीवन का कोई खास उद्देश्य है। उस उद्देश्य को जानिये। अपनी शक्तियों की पड़ताल कीजिये और उनका ठीक ठीक उपयोग करना सीखिये।

स्मरण रखिये, रुकावटें और कठिनाइयाँ आपकी हित चिन्तक हैं। वे आपकी शक्तियों का ठीक ठीक उपयोग सिखाने के लिए हैं, वे मार्ग के कंटक हटाने के लिए हैं। वे आपके जीवन को आनंद मय बनाने के लिए हैं। जिन के रास्ते में रुकावटें नहीं पड़ीं वे जीवन का आनन्द ही नहीं जानते। उनको जिन्दगी का स्वाद ही नहीं आया जीवन का रस उन्होंने ही चखा है, जिनके रास्ते में बड़ी बड़ी कठिनाइयाँ पड़ी हैं। वे ही महान आत्मा कहलाये हैं, उन्हीं के जीवन, जीवन कहला सकते हैं।

उठो ! उदासीनता त्यागो। प्रभु की ओर देखो। वे जीवन के पुंज हैं। उन्होंने आपको इस संसार में निरर्थक नहीं भेजा। उन्होंने जो श्रम आपके ऊपर किया है, उसको सार्थक करना आपका काम है। यह संसार तभी तक दुःखमय दीखता है जब तक कि हम इसमें अपना जीवन होम नहीं करते। बलिदान हुए बीज पर ही वृक्ष का उद्भव होता है। फूल फल उसके जीवन की सार्थकता सिद्ध करते हैं।

सदा प्रसन्न रहो। मुसीबतों का खिले चेहरे से सामना करो। “आत्मा सब से बलवान है” इस सच्चाई पर दृढ़ विश्वास रखो। यह विश्वास “ईश्वरीय विश्वास” है। इस विश्वास द्वारा आप सब कठिनाइयों पर विजय पा सकते हैं। कोई कायरता आपके सामने ठहर नहीं सकती। इसी से आपके बल की वृद्धि होगी। यह आपकी आन्तरिक शक्तियों का विकास करेगा।

अतएव निर्भय होकर अपने जीवनोद्देश्य पर डट जाओ किसी से भय मत करो क्योंकि भय आपके जीवन रूपी लकड़ी को घुन लगाता है और अन्दर ही अन्दर से खा डालता है। भय को निकट मत आने दो। यह बड़ा दुष्ट है। इस के वश में पड़ा हुआ मनुष्य निकम्मा हो जाता है। यह मनुष्य को नीच बना देता है। उसके मनुष्यत्व को नष्ट कर डालता है। जो आपको भय दिखाता है, समझो वह बड़ा स्वार्थी है। उसका अपना आत्मा निर्बलताओं से भरा हुआ है। उससे कभी मत डरो।

यह संसार आनन्द से पूर्ण है। उस आनन्द से वहीं आत्माएं लाभ उठा सकती हैं, जिन्होंने जीवनोद्देश्य को समझ कर उसकी सिद्धि पर कमर बाँधी है। भीरु, कायर मनुष्य अपना शत्रु आप ही है। वह कठिनाइयों से भागना चाहता है पर भाग नहीं सकता। रोता है, चिल्लाता है, उससे उसका दुख और भी बढ़ता है। उसका जीवन कंटकमय हो जाता है। वह जहाँ जाता है, अपने दुख की गठरी साथ ले जाता है।

इसलिए दुखों तथा कठिनाइयों का मर्द बन कर सामना करो। इनसे हरगिज मत डरो। ईश्वर पर सच्चा विश्वास रखकर अपने कर्तव्य पर आरुढ़ हो जाओ और अपने दूसरे निर्बल भाइयों को दृढ़ता पूर्वक यह महामंत्र सिखलाओ "ढ्ढ ख्द्बद्यद्य द्धद्बठ्ठस्र ड्ड ख्ड्डब् शह् द्वड्डद्मद्ग शठ्ठद्ग" अर्थात्-जब आपको किसी काम के करने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़े और कोई रास्ता दिखलाई न दे तो उस समय आपके अन्दर से ही यह आवाज आनी चाहिए “मैं रास्ता पा लूँगा या नया बना लूँगा” ऐसे हिम्मती लोगों के लिए दुनिया में कोई काम असंभव नहीं है।

अपनी विजयों से उन्नत महावीर नेपोलियन बोनापार्ट जब इटली जीतने के लिए एपल्स के दुर्गम पर्वतों को पार करने गया तो उसके आगे चलने वाले सेनानायकों ने मार्ग को असंभव बतलाया। उस महा पराक्रमी नेपोलियन ने हँसते हुए कहा “असंभव शब्द मेरे कोष में नहीं है।” उसी कठिन कथन के अनुसार उसने रास्ता तैयार कर लिया और उसी मार्ग से अपनी बड़ी सेना और तोपों के साथ इटली पर आक्रमण किया। यह है साहसी लोगों का मार्ग। भीरु और कायर बाधाएं देखकर मैदान छोड़ जाते हैं। अतएव इस संसार में सिपाही बन कर बाधाओं का मुकाबला कीजिए और कभी भी हिम्मत न हारिये, चरित्र गठन का यह एक सर्व श्रेष्ठ गुण है।

भाई सुनो मन लगाकर बात मेरी,


चाहे बने सफलता बिन दाम चेरी।


लो मंत्र मोहन जपो “विजयी बनेंगे”!


आवें अनेक विपदा तब भी लड़ेंगे॥

-ज्ञान के उद्यान में


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