आरम्भ छोटे से कीजिए।

February 1945

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किसी महान कार्य को आप पूरा करना चाहते हैं तो उसको एक साथ पूरा कर डालने के लिए मत अकुलाइए वरन् उस कार्य के एक छोटे भाग को हाथ में लीजिए और उस भाग को पूरी सावधानी, दिलचस्पी, लगन और दृढ़ता से पूरा करने का प्रयत्न कीजिए। बीच-बीच में यदि कुछ बाधाएं आवें तो भी उस कार्य को छोड़िए नहीं वरन् जैसे भी बने वैसे थोड़ा बहुत समय उस कार्य के लिए नित्य लगाते रहिए। नियमित रूप से निरन्तर कार्य करने से बड़े-बड़े मुश्किल काम आसान हो जाते हैं।

कार्य को आरम्भ करने से पूर्व यह देख लेना चाहिए कि हमारी शक्ति, योग्यता और साधन इस कार्य को पूरा करने में किस हद तक समर्थ हैं। यदि इस मार्ग में कठिनाइयाँ आवें तो किस हद तक उनके सामने ठहर सकने की मुझ में सामर्थ्य है। इन सब बातों पर विचार करते हुए कार्य को शुरू करना चाहिए। एक बार जब काम शुरू कर दिया जाय तो उसको किसी अच्छे परिणाम तक ले पहुँचने के लिए जी जान से कोशिश करनी चाहिए।

हमेशा छोटे कार्यों को हाथ में लीजिए, जिसे कि आप आसानी से पूरा कर सकें। सफलता, चाहे वह छोटे काम की ही क्यों न हो मनुष्य को एक नया बल प्रदान करती है, छोटे काम में सफल होने पर वह अपनी योग्यता और प्रतिभा का अनुभव करता है। एक कदम आगे बढ़ा देने पर रास्ता सुगम हो जाता है। जिसका पहिया घूम गया उसकी गाड़ी चलने लगी। जिस आदमी को एक बार अपनी योग्यता पर विश्वास हो गया वह बड़े-बड़े कठिन कामों में हाथ डालने लगता है और अपने आत्म विश्वास के साथ उसे पूरा कर डालता है।


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