सफलता का रहस्य

February 1945

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(श्री शिवदानप्रसाद सिंह, बी.ए., एल.एल.बी. मिर्जापुर)

सफलता के मूल सिद्धाँतों पर विचार कीजिये। संसार में कोई ऐसी वस्तु अथवा चाह नहीं है जो प्राप्त न की जा सके। परन्तु उसके प्राप्ति के जो नियम हैं, उनका निबाहना अथवा न निबाहना ही सफलता तथा विफलता के बीच का अन्तर है। एक व्यक्ति थोड़ी ही शिक्षा से विशेष सफलता प्राप्त कर लेता है, परन्तु दूसरा व्यक्ति विशिष्ट शिक्षा-सम्पन्न होते हुए भी उतनी सफलता नहीं पा लेता जितना कि अल्प शिक्षा वाला व्यक्ति पाये हुये हैं। इन दोनों में अन्तर केवल इतना ही है कि प्रथम व्यक्ति ने एक लक्ष्य अपना लिया और वह उस पर कटिबद्ध होकर, उससे प्रेम करते हुए उसके पीछे लग गया और इस तौर पर उसने सफलता के तत्वों को अपनी ओर आकर्षित किया। परन्तु दूसरे व्यक्ति ने मन की चंचलता के कारण अपने लक्ष्य को बदलता रखा तथा अपने कार्य से प्रेम करने के स्थान पर उसके प्रति उदासीनता का भाव धारण किया। परिणाम स्वरूप कठिन परिश्रम करने पर भी वह सफलता से दूर रहा, क्योंकि उसने उस के नियमों की अवहेलना की उसकी कार्य-प्रणाली में दोष आ गया। पाठकों ने देखा होगा कि जिस स्थान पर किसी नदी का जल एक संकीर्ण मार्ग से बहता होता है वहाँ पर उसकी धारा का वेग अधिक तीव्र रहता है, अपेक्षा उस स्थान के जहाँ पर कि उसका जल दूर तक फैला रहता है। मन की एकाग्रता और इच्छा शक्ति की प्रबलता से कठिन कामों में भी आसानी से सफलता मिल जाती है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118