ईश्वर अनुभवगम्य है।

February 1945

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(श्री के.व. किल्लेदार लश्कर)

बहुत से मनुष्य परमात्मा को आँखों से देखना चाहते हैं। न दिखाई देने पर उसके अस्तित्व में शंका करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को यह जान लेना चाहिए कि मनुष्य के नेत्रों की शक्ति बहुत ही न्यून है, उससे सूक्ष्म वस्तुएं दिखाई नहीं पड़ती हैं और अनेक बार स्थूल वस्तुएं भी दिखाई नहीं पड़ती।

ऐसे कई कारण हैं जिनके कारण वे स्थूल वस्तुएं जिनका आस्तित्व मौजूद है हमें दृष्टिगोचर नहीं होती। 1. बहुत दूर होने के कारण- कोई पक्षी उड़कर दूर चला जाता है तो वह दिखाई नहीं देता। 2. समीप होने के कारण- आँखों में लगा हुआ काजल, पलक आदि आँखों के बहुत समीप होने के कारण दिखाई नहीं देते। 3. इन्द्रिय दोष के कारण- जैसे अंधे को वस्तुएं नहीं दीखती। 4. मन की विशेष दशा के कारण- किसी कार्य में बहुत तल्लीनता से लगे हुए हों तो सामने से गुजरने वाली चीजों का पता नहीं रहता। 5. सूक्ष्म होने के कारण- रोगों के कीटाणु, पदार्थों के परमाणु, वायु की लहरें, शब्दों के कम्पन सूक्ष्म होने के कारण नहीं दीखते। 6. व्यवधान के कारण- किसी आड़ में होने के कारण वस्तुएं नहीं दीखती, पर्दे के पीछे रखी हुई, जमीन में गढ़ी हुई, संदूक में बंद वस्तुएं होते हुए भी मालूम नहीं पड़ती। 7. तिरोभाव के कारण- किसी विशेष कारण से, जैसे दिन में सूर्य के प्रकाश के कारण तारागण दृष्टिगोचर नहीं होते। 8. स्व-जाति संमिश्रण के कारण- जैसे नदी का जल, समुद्र के जल में, मदिरा साधारण पानी में एवं दूध में जल मिल जाने के कारण फिर उनका अस्तित्व पृथक दृष्टिगोचर नहीं होता। इस प्रकार नेत्रों की तुच्छ शक्ति से बहुत सी स्थूल वस्तुएं भी दृष्टिगोचर नहीं होती फिर परमात्मा जैसा सूक्ष्म तत्व जो केवल अनुभवगम्य है दिखाई न दे तो भ्रम में न पड़ना चाहिए।


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