गीत संजीवनी-8

पूज्य गुरुवर! शक्ति दे दो

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पूज्य गुरुवर! शक्ति दे दो, साधना अपनी बढ़ायें।
श्रेष्ठ चिन्तन, आचरण से, आपकी गरिमा बढ़ायें।।

अंग- अवयव हैं तुम्हारे, शिष्य भी हैं नयन तारे।
आप सविता रूप हैं प्रभु, आपके ही हम सहारे॥
आपकी सामर्थ्य अनुपम, आपको हम क्या चढ़ायें।
श्रेष्ठ चिन्तन, आचरण से, आपकी गरिमा बढ़ायें।।

‘‘प्यार’’ ही है मन्त्र भगवन्, स्नेह- ममता के उपासक।
आप जीवन तम मिटाते, आप हैं जीवन प्रकाशक॥
प्रखरता से हम उठें प्रभु, ‘‘सजल’’ औरों को उठायें।
श्रेष्ठ चिंतन, आचरण से, आपकी गरिमा बढ़ायें।।

आपका संकल्प है प्रभु, स्वर्ग धरती पर उतारें।
पद- दलित पीड़ित जनों को,प्यार ममता से दुलारें॥
आप हैं सर्वस्व भगवन्, भाव हम अपना जगायें।
श्रेष्ठ चिंतन, आचरण से, आपकी गरिमा बढ़ायें॥

आज हम संकल्प करते, प्राण में साहस भरेंगे।
भूल पायेंगे न गुरुवर, शीश चरणों में धरेंगे॥
ज्ञान की लेकर मशालें, ज्योति हम जग में जलायें।
श्रेष्ठ चिंतन, आचरण से, आपकी गरिमा बढ़ायें॥

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