गीत संजीवनी-8

बिगुल बज गया महाक्रान्ति

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बिगुल बज गया महाक्रान्ति का, वीरों शौर्य दिखाना है।
असमंजस में समय गँवाकर, कायर नहीं कहाना है॥

जाने कितने शुभकर्मों ने, यह सुयोग दिलवाया है।
महाकाल से कदम मिला, चलने का अवसर आया है।
हम सच्चे साथी हैं प्रभु के, यह विश्वास बढ़ाना है॥

जिनने पहचाना है युग को, क्षण भर नहीं गँवाते हैं।
समय चूक जाने वाले तो, अन्त समय पछताते हैं।
पछतावे का मौका मत दो, सुख सौभाग्य बढ़ाना है॥

शौर्य शहीदों जैसा अपनी, नस- नस में भरना होगा।
प्रभु के निर्देशों पर चलकर, प्रखर कर्म करना होगा।
बाधाओं को चीर- चीरकर, अपना मार्ग बनाना है॥

कवच हमारा गुरु अनुशासन, शस्त्र अनूठे श्रम प्रतिभा।
सैनिक हैं हम महाकाल के, अस्त्र सबल श्रद्धा निष्ठा।
बलिदानी संकल्प जगाकर, आगे बढ़ते जाना है॥

मुक्तक-

सुनो प्रभाती बिगुल बज रहा, कर्मभूमि में कदम बढ़ा लो।
जागो- जागो रे युग सैनिक, उठकर अपने अस्त्र सँभालो॥
वासंती वर्दी सैनिक की, धारण कर संगीन उठा लो।
शक्ति स्रोत से जुड़े हुए तुम, उठो उछलकर हिम्मत वालों॥

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