गीत संजीवनी-4

एक तुम्हीं आधार सद्गुरु

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एक तुम्हीं आधार सद्गुरु

एक तुम्हीं आधार सद्गुरु।
एक तुम्हीं आधार॥

जब तक मिलो न तुम जीवन में।
शान्ति कहाँ मिल सकती मन में।
खोज फिरा संसार सद्गुरु॥

कैसा भी हो तैरन हारा।
मिले न जब तक शरण सहारा।
हो न सका उस पार सद्गुरु॥

हे प्रभु! तुम्हीं विविध रूपों में।
हमें बचाते भव कूपों से।
ऐसे परम उदार सद्गुरु॥

हम आये हैं द्वार तुम्हारे।
अब उद्वार करो दुःखहारे।
सुनलो दास पुकार सद्गुरु॥

छा जाता जग में अंधियारा।
तब पाने प्रकाश की धारा।
आते तेरे द्वार सद्गुरु॥

मुक्तक:-

बीच भँवर में नाव हमारी, कोई न खेवनहार।
नैया कर दो पार सद्गुरु, एक तुम्हीं आधार॥
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