दर्द का पीकर हलाहल
दर्द का पीकर हलाहल, मुस्कुराना जिन्दगी है।
बच सके कोई अगर, तो चोट खाना जिन्दगी है॥
है बड़ा उपकार- आशा के, सुनहरे कण लुटाना।
औ किसी की पीर में, हँसते हुए हिस्सा बँटाना॥
जुड़ सके कोई हृदय तो, टूट जाना जिन्दगी है॥
है बड़ा उपकार आस्था का, करुण विक्षुब्ध मन को।
प्यार की विश्वास की है भेंट, सर्वोत्तम स्वजन को॥
मुस्कराये मीत को आँसू बहाना जिन्दगी है॥
है सफल जीवन उसी का, जो पराये हित जिया है।
है अगर वह व्यक्ति,जिसने विश्व हित का व्रत लिया है॥
बच सके नौका अगर तो, डूब जाना जिन्दगी है॥
है ऋषि इतिहास उनका, रक्त जो निजदान करते।
बाँटते अमृत जगत को, खुद हलाहल पान करते॥
विश्व के निर्माण में, खुद को मिटाना जिन्दगी है॥
जीवन को लय- ताल के अनुशासन में आबद्ध करना संगीत के सैद्धान्तिक ज्ञान का लक्ष्य है।