जिसको प्रभु से सद्बुद्धि
जिसको प्रभु से सद्बुद्धि मिली,
फिर कुछ वरदान लिया न लिया।
करने को कर्म बहुत जग में,
है आकर्षण भी पग पग में।
जिसने सचमुच परमार्थ किया,
फिर और सुकर्म किया न किया॥
देवों के रूप अनेकों हैं,
पूजा के ढंग अनेकों हैं।
जिन साध लिया निज जीवन को,
कोई देवता सिद्ध किया न किया॥
धन की इच्छा सब करते हैं,
पर मर्म न कोई समझते हैं।
सम्पत्ति गुणों की मिली जिसे,
फिर धन की खान लिया न लिया॥
है दान अनेकों इस जग में,
लेने वाले हैं डग डग में।
प्रभु को निज जीवन सौंप दिया,
उनने कुछ दान किया न किया॥