जब हम दीप जलायेंगे
जब हम दीप जलायेंगे, क्यों ठहरेगा अँधेरा।
हम प्रकाश फैलायेंगे, क्यों ठहरेगा अँधेरा॥
पाव पसारे अँधेरे ने घर में, गली- गली में गाँव नगर में।
जब हम ज्योति बढ़ायेंगे॥
हम प्रकाश के पुत्र कहाते, हम सविता को शीश झुकाते।
जब हम सूर्य उगायेंगे॥
व्यक्ति- व्यक्ति जब दीप बनेगा, हर परिवार प्रकाश करेगा।
गुरुवर स्नेह पिलायेंगे॥
तब समाज कैसे भटकेगा, भ्रम का भूत नहीं फटकेगा।
युग संदेश सुनायेंगे॥