गुरु चरणन मन भाये
गुरु- चरणन मन भाये, गुरु चरणन ही सुहाये।
उठत- बैठत, सोवत- जागत, गुरु छवि सदा सुहाये॥
अंग- अंग के रोम- रोम में, गुरुवर छवि हर्षाये।
गुरु भक्तों की रक्षा करने, गुरु बादल बन छाये।
गुरु चरणन मन भाये॥
शांतिकुंज के ध्यान में डूबूँ, गुरु सागर लहराये।
गुरुमय है यह जगत ये दुनियाँ, गुरु अंत में समाये।
गुरु चरणन मन भाये॥
गुरु हमारे पिता बंधु सब, गुरु माता संग आये।
जो समझो इस गूढ़ ज्ञान को, जन्म सुफल होई जाये।
गुरु चरणन मन भाये॥
गुरु चरणन में ब्रह्मज्ञान है, गुरु भक्तों को उठाये।
निर्मल मन हो जिन शिष्यों का, गुरु ही हृदय लगाये।
गुरु चरणन मन भाये॥
गुरु के चरण प्रखर प्रज्ञा है, श्रद्धा सजल कहाये।
गुरु पूर्णिमा महापर्व में, श्रद्धा सुमन चढ़ायें॥
गुरु चरणन मन भाये॥