गुरु तत्त्व को आओ
गुरु तत्व को आओ, जीवन में हम उतारें।
बन श्रेष्ठ शिष्य गुरु के, जीवन- जगत सँवारें।।
गुरुपूर्णिमा है पावन, गुरु शिष्य की कहानी।
गुरु हित में खप गये जो, तनिक न बची निशानी।।
पथ पर गुरु के चलकर, गुरु को ही हम पुकारें।।
सुपात्र शिष्य के हित, गुरु की भरी है झोली।
गुरु का ही स्वर निकलता, जो बंसी होते पोली।।
जीवन समर में गुरु भक्त, जीतें कभी न हारें।।
चिंतन- मनन सुपावन, सद्गुरु विचार धारा।
सद्ज्ञान ही हैं गुरुवर, सावन की मेघ धारा।।
गुरु को हृदय में रखकर, पतितों के हों सहारे।।
‘गुरु रामदास’ ऐसे, गढ़कर ‘शिवा’ दिखाये।
‘हे रामकृष्ण’ भगवन्, तुमने ‘विवेका’ जाये॥
हर शिष्य के हृदय में, भगवन् तुम्हीं समाये॥