जिसको सुनकर बने राह
जिसको सुनकर बने राह फिर, मानव के उत्थान की।
आओ मिलकर सुनें ध्यान से, दिव्य कथा श्रीराम की॥
इसी कथा में राम और सीता का भी आदर्श है।
हनुमान और लक्ष्मण जी का भी पावन उत्कर्ष है॥
वीर जटायु जैसे योद्धा के महान बलिदान की॥
गीता का सन्देश इसी में, पार्थ धनुर्धर की गाथा।
ऋषियों का सन्देश जहाँ पर, झुकता है सबका माथा॥
कर्म करें पर नहीं विचारें, कभी यहाँ परिणाम की॥
अवतारों की कथा इसी में, जब- जब धरती पर आये।
विकृतियों के दानव से, जब- जब मानवता अकुलाये॥
सुनो कथा पावन सब जन, प्रज्ञावतार महान की॥
अपने मनोभावों को नहीं छिपाना चाहिए। मनुष्य को असहिष्णु नहीं होना चाहिए। दूसरे की स्थिति को देखकर उसके अनुसार आचरण करना चाहिए। - गायत्री स्मृति- 11