कल्याण हमारे जीवन का
कल्याण हमारे जीवन का, भगवान न जाने कब होगा।
जिससे भय भ्रांति मिटा करती,वह धन्य न जाने कब होगा॥
जिससे निज दोष मिटा करते, पापी अपराधों से डरते।
इस सद्विवेक का मानव में, सम्मान न जाने कब होगा॥
अच्छे दिन बीते जाते हैं, गुरुजन बहु विधि समझाते हैं।
योगी पद तक भोगी मन का, उत्थान न जाने कब होगा॥
शीतलता जिससे आती है, सारी अशांति मिट जाती है।
वह नित्य प्राप्त है प्रेम सुधा, पय पान न जाने कब होगा॥
चिन्तायें और वासनायें फिर कुछ भी नहीं सताती है।
जिससे प्रभु तेरे दर्शन हो, वह ध्यान न जाने कब होगा॥