क्यों मोह है उन्हीं से
क्यों मोह है उन्हीं से, जिनने हमें मिटाया।
घोंटा गला जिन्होंने, उनको गले लगाया॥
घातक कुरीतियों ने, क्या कुछ नहीं किया है।
उन क्रूर रूढ़ियों ने, बरबाद कर दिया है॥
क्या बात है कि उनसे, पीछा नहीं छुड़ाया॥
क्यों कर फिज़ूल खर्ची, करते हैं शादियों में।
क्यों मोह भाव वर के, बढ़ते हैं शादियों में॥
पुरुषार्थ के धनी को, क्यों माँगना सिखाया॥
क्या मृतक भोज मरने पर काम आ सकेगा।
क्या भोज कर्मफल से उसको बचा सकेगा॥
परिवार रो रहा है तब जाके कैसे खाया॥
आडम्बरों में हम क्यों, जकड़े पड़े हुए हैं।
क्यों अन्ध मान्यता के, झगड़े खड़े हुए हैं॥
अज्ञान में पड़े क्यों, क्यों ज्ञान को भुलाया॥
हमको मिटा रहे जो, उनको चलो मिटायें।
छोड़े कुरीतियों को, बरबादियाँ बचायें॥
हमको विवेक ने अब, सद्मार्ग है बताया॥