मुक्तक- जब पतंगों की देखी कलाबाजियाँ,
बाँसुरी की सुनी श्रेष्ठ स्वर लहरियाँ।
तो लगा प्रभु कि जीवन तुम्हें सौंप दें,
कुछ नया फन दिखाये तेरी उँगलियाँ॥
करनी है यदि हमको सेवा
करनी है यदि हमको सेवा, अपने इस संसार की।
करनी होगी आत्मसाधना, हमको आत्मसुधार की।।
हम सुधरेंगे- युग सुधरेगा, यही सूत्र अपनाएँ हम।
लक्ष्य भेद की करें साधना, जीवन धन्य बनाएँ हम।।
सबको दें सम्मान अहनिर्श, करें साधना प्यार की।।
ज्ञान आचरण में जो उतरे, वही ज्ञान उपयोगी है।
स्वाध्याय, संयम जीवन का, परम मित्र सहयोगी है।।
करें उपासना हम चिन्तन की, सेवा शुभ व्यवहार की।।
करें प्रेम व्यवहार सभी से, दुर्गुण दूर भगाएँ हम।
श्रेष्ठ संगठन शक्ति साथ ले, स्वर्ग धरा पर लाएँ हम।।
सोच- समझकर करें साधना, खान- पान आहार की।।