उदारता और दूरदर्शिता

उदारता एक दैवी तत्व है

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उदारता निस्संदेह एक मानसिक गुण हैं । भौतिक परिस्थितियों से उसका अधिक सम्बन्ध नहीं । प्राय: देखा जाता है कि लखपति लोग हर एक बात में कंजूसी करते हैं, दूसरों के दुख का कुछ भी प्रभाव उन पर नहीं पड़ता, सदा अपने लाभ पर ही दृष्टि रखते हैं । इसके विपरीत बिल्कुल साधारण स्थिति के और गरीब व्यक्ति समय पड़ने पर फौरन दूसरे की सहायता करने को अग्रसर होते हैं और किसी को कष्ट में फँसा देखकर द्रवित हो जाते हैं । इसका एक कारण यह भी होता है कि गरीब अभावग्रस्त होने के कारण उनकी दूसरों के दुख का तुरन्त अनुभव हो जाता है, जबकि धनवान को हर तरह से धन जमा करने के सिवा किसी और बात का अनुभव नहीं होता ।

जो लोग दूसरों की सेवा या उपकार करना नहीं चाहते वे ही उदारता के कामों में तरह-तरह के बहाने ढूँढ़ते हैं । अन्यथा यह एक ऐसा दैवी तत्व है जो मनुष्य के व्यक्तित्व को अत्यन्त आकर्षक और अनेक गुणों का केन्द्र बना देता है । उदार व्यक्ति के साथ सदैव बहुसंख्यक व्यक्तियों की शुभकामनाएँ और आशीर्वाद रहते हैं । किसी कारणवश आपत्ति में पड़ जाने पर या निर्धन हो जाने पर भी लोगों की सहानुभूति उसके साथ रहती है और उसके आदर-सम्मान में कमी नहीं आती । इसलिए मनुष्य को चाहिए कि अपने कार्यों, व्यवहार और विचारों द्वारा सदैव दूसरों के साथ उदारता का व्यवहार करें और इस बात का सदैव ध्यान रखें किं उनके द्वारा किसी के लाभ के सिवा किसी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कष्ट न पहुँचें ।



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