अध्यात्म साधना और शिक्षा के महत्वपूर्ण सत्र

December 1982

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गत दो अंकों में युग मनीषा के रूप में अध्यात्म तत्व दर्शन की और कल्प तपश्चर्या के रूप में युग साधना की एक झाँकी प्रस्तुत की जा चुकी है। उसे एक प्रकार से व्यावहारिक मार्गदर्शन ही समझा जाना चाहिए। अभीष्ट जानकारी से अवगत होने के उपरान्त उस मार्ग पर घर रहते हुए भी चला जा सकता है। जिन्हें अधिक समझना और गम्भीरतापूर्वक समझना हो उनके लिए एक−एक मास के कल्प साधना सत्र में सम्मिलित होने के लिए शान्ति कुँज हरिद्वार का सहयोग लिया जा सकता है।

जिन्हें बहुत व्यस्तता है—जो एक महीने का समय नहीं निकाल सकेंगे उनके लिए एक महीने की कल्प साधना का एक दस दिवसीय छोटा संस्करण भी आरम्भ किया गया है। उनमें एक महीने की कल्प साधना के सभी आवश्यक सिद्धान्तों और प्रयोगों का समावेश करने का प्रयत्न किया गया है।

नये निर्धारण की इस शृंखला में एक संशोधन परिवर्धन यह भी किया गया है कि एक मास की कल्पसाधना के दो विभाग कर दिये गये हैं एक साधना प्रधान दूसरा शिक्षा प्रधान। शिक्षा प्रधान में कल्प साधना की उपासनाएँ कुछ कम कर दी जायेंगी और बदले में उन्हें (1) भाषण सम्भाषण (2) संगीत अभ्यास (3) आसन प्राणायाम एवं जड़ी−बूटी विज्ञान के स्वास्थ्य सम्वर्धन की तीन कक्षाओं में सम्मिलित रहने का अवसर मिलेगा साधना तो भी कुछ कल्प साधना के लिए निर्धारित क्रम के अनुरूप ही चलती रहेगी। साधना प्रधान मंत्रों में सम्मिलित होने वालों का प्रधान विषय तो नहीं रहेगा किन्तु उन्हें भी तीन घन्टे नित्य उपरोक्त तीन कक्षाओं में सम्मिलित रहने का अवसर मिल सकेगा। इस प्रकार शिक्षा प्रधान कल्प साधना के लिए आने वाले युग शिल्पियों जितनी तो नहीं पर उससे कुछ ही कम मात्रा में उपरोक्त तीनों विषयों की काम चलाऊ जानकारी मिल जायगी। इस प्रकार अब इन एक महीने के सत्रों में सम्मिलित होने वाले दुहरा लाभ उठा सकेंगे। आत्मबल की अभिवृद्धि, उज्ज्वल भविष्य का निर्धारण एवं लोक नेतृत्व के लिए आवश्यक भाषण, संगीत एवं चिकित्सा उपचार की त्रिविध विशेषताएँ भी हस्तगत हो सकेंगी।

यह संशय किसी को भी नहीं करना चाहिए कि शीत ऋतु में हरिद्वार जाना ठीक न रहेगा। तापमान सर्वत्र बढ़ा है, अस्तु हरिद्वार का मौसम भी पहले की अपेक्षा कहीं अधिक गरम हो गया है। कनाडा जैसे देशों के कई क्षेत्रों में पूरे वर्ष बर्फ पड़ती है फिर भी वहाँ लोग निरन्तर महत्वपूर्ण कार्यों में संलग्न रहते हैं। हरिद्वार की ठंड तो उसके आगे कुछ भी नहीं। फिर उच्चस्तरीय साधनाओं के लिए शीत ऋतु सर्वोत्तम मानी गई है। जितना अच्छी तरह ध्यान लगने से लेकर साधना प्रयासों में सुविधा रहने की बात शीत ऋतु में रहती है उतना और कहीं नहीं। यही कारण है कि तपस्वी सदा शीत प्रधान हिमालय में अपना डेरा डालते और अन्यत्र की अपेक्षा कहीं अधिक लाभ प्राप्त करते हैं इन तथ्यों पर विचार करते हुए हरिद्वार में कल्पसाधना के लिए आने में शीत ऋतु का समय असुविधाजनक नहीं, सुविधा प्रधान ही सिद्ध होगा।

संक्षेप में शान्ति कुँज की सत्र व्यवस्था में एक−एक महीने के कल्प साधना सत्र ही प्रमुख है। उन्हीं को दो भागों में विभक्त कर दिया गया है एक साधना प्रधान दूसरे शिक्षा प्रधान। दस दिवसीय सत्र में साधना का ही संक्षेप है। उतनी कम अवधि में भाषण—संगीत चिकित्सा उपचार का समावेश सम्भव नहीं। जिन्हें उपरोक्त सत्रों में से जिनमें आना हो वे (1) सत्र का नाम तथा तारीखें (2) अपना पूरा नाम पता (3) आयु (4) शिक्षा (5) जन्म−जाति (6) शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य के सही होने सम्बन्धी स्पष्ट जानकारी (7) यहाँ का अनुशासन पूर्णरूपेण पालन करने के आश्वासन समेत आवेदन−पत्र भेजना चाहिए और स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त ही आने की तैयारी करनी चाहिए। मास वाले सत्र हर महीने, पहली से तीस तारीख तक चला करेंगे और दस दिवसीय 1 से 10, 11 से 20, 21 से 30 को चला करेंगे। जिसमें प्रवेश पाना हो उसके लिए आवेदन−पत्र भेजते समय साथ में यह भी लिख देना चाहिए कि यदि इच्छित सत्र में स्थान भर गया हो तो अन्य किसी सत्र में स्थान दिया जाय।


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