नवरात्रि साधनों के साथ चलायें जाने वाले ज्ञानयज्ञ को इस पत्रिका के लेखों के आधार पर ही चलाया जाय। इन्हें पू॰ गूरुदेव के विशेष सन्देश के रुप में सब तक पहूँचाना है। सम्पूर्ण ‘अखण्ड-ज्योति’ को नौ खण्डों में विभक्त कर प्रत्येक दिन एक खण्ड के नबाह्न पारायण की व्यवस्था इन नौ दिनों तक चलती रहे तो इसीसे आलोक विस्तार की प्रक्रिया पूर्ण हुई मान ली जाएगी। युग सन्धि के बीजारीयण वर्ष के कारण इस आश्विन नवरात्रि का विशेष महत्व हैं। इस पर्व पर कोई परिजन विशेष साधना से वंचित न रहें। साधना की सूचना मिलने पर उसके संरक्षण एवं दोष परिमार्जन की व्यवस्था शान्ति कुन्ज हरिद्वार में कर दी जायेगी। उत्तर के लिए जबाबी पत्र भेंजें।