विश्व विख्यात कुछ अदृश्य दर्शियों के भविष्य कथन

March 1980

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ज्योतिविज्ञान अन्तर्ग्रही ही हलचलों और प्रतिक्रियाओं की सूक्ष्म जानकारी पर आधारित है इसलिए उसकी गणना भौतिक विज्ञान में की जाती हैं प्रतिक्रियाओं का गनुमन लगाते हुए जो भविष्य कथन किया जाता है। उसका आधार भी यही है।

अनीन्द्रिय क्षमता का क्षेत्र इससे भिन्न है। उसमें ग्रह गणित की आवश्यकता नहीं पड़ती। अन्तदृष्टि एक दिव्य सामथ्य्र है, जिसके सहारे परोक्ष के अनेक रहस्यमय परतों पर पड़े हुए पर्दे को हटाया जा सकता है और वह जाना जा सकता है जो सामान्यताया सम्भव नहीं होता।

किसी प्रतिक्रिया कार्य प्रतिफल सिद्धान्त भविष्य की तभी भावी सम्भावनाओं का अनुमान लग सकता है। जब घटनाक्रम सामने हो। किन्तु अदृश्य दर्शन की दिव्य दृष्टि अनतरिक्ष की हाँडी में पक रही खिचड़ी की गन्ध लेकर यह बता सकती है कि उसमें क्या उबल रहा है ओर पककर किस रुप में क्या आने वाला है।

प्रयत्न करने पर यह शक्ति योग साधना द्वारा कोई भी साधक अपने में विकसित कर सकता है। साधना से सिद्धि का सिद्धान्त सर्वमान है। किन्तु कई बार ऐसा भी होता है कि पूर्व संचित संस्कारो के कारण यही दिव्य क्षमता अनायास ही जग पड़ती है। बिना साधना के सिद्ध पुरुष स्तर के मनुष्य भी जब तब पाये जाते है और उनमें शाप वरदान जैसी सामर्थ्ये तो नहीं होती, पर अदृश्य दर्शन की दृष्टि से उनकी विशेषता आर्श्चयजनक देखी गई है।

पिछले दिनों संसार में ऐसे अदृश्यदर्शी पाये गये है, जिन्हे योगी ऋषि तो नी कह सकते है, पर भविष्य दर्शन की दृष्टि से उनकी विशिष्ठता सर्वमान्य रही है। उन्हे यह शक्ति कैसे मिली इसका उत्तर ‘अनायास’ के अतिरिक्त ओर कोई दिया नहीं जा सकता। इतने पर भी यह हर कसौटी पर सही पाया गया कि उनके कथन अधिकाँश में सच निकले। यो उनमें जब तक गतियाँ भी निकली है।

अगली पंक्तियों में जिन अदृश्य दर्शियों के भविष्य कथनों की चर्चा की गई है। वे सभी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के है। यह ख्याति उन्हे किसी विज्ञापनवाजी से नहीं वरन् कथनों में सचाई मिलने के आधर पर ही फैली।

युग सन्धि के मध्य क्या कुछ घटित होने वाला है। इस सर्न्दभ में इन प्रख्यात दिवयदर्शियों के अभिमत पर दृष्टिपात करने से ही निष्कर्षो पर पहुँचना पड़ता है। (1) अगले बीस वर्ष मनुष्य जाति के सामने असाधारण कठिनाईयों से भरे होने की सम्भावना है। (2) वह समय दूर नहीं जब उज्जवल भविष्य की परिस्थतियाँ प्रत्यक्ष होंगी। लोग वर्तमान रीति-नीति बदल देंगे। व्यक्तिगत दृष्टिकोण एवं समाज व्यवस्था का नया निर्धारण करेंगे। (3) युग परिवर्तन के इन बीस वर्षो में भारत की भूमिका महान होगी। उसे अन्यत्र की अपेक्षा कम विपत्तियों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही उसकी अध्यात्म भूमिका विनाश को हलका करके और विकास को निकट लाने के लिए प्रबल प्रयास करेगी तथा सफल भी होगी।

अदृश्य दर्शियों ने विभिन्न प्रसंगो से अन्यान्य विचार भी व्यक्त किये है। उनक भविष्वाणियों एवं दिव्यशक्तियों पर प्रकाश डालने वाली कितनी ही पुस्तके छपी है। उनमें से उतना ही संकलन किया गया है, जिसे सार कहा जा सकता और जो युग सन्धि में होने वाली परिवर्तन प्रक्रिया से सम्बन्धित है चुने हुए भविष्य दर्शियों में से जिन सात के कथन संकलन किये गये है, वे यह है (1) जीन डिक्सन (2) जूलवर्न (3) प्रो. हरार (4) पीटर हर कौस (5) नोस्ट्राडेमस (6) जान सेवेज (7) एण्डरसन।

1. जीन डिक्सन

जीन डिक्सन का नाम आज विश्वविख्यात है यह अमरीकी महिला अपनी अचूक भविष्यवाणियों के लिए जानी जाती है। जीन जब सिर्फ 6 साल की बच्ची थी, तब एक दिन उसकी माँ ने यों ही, बात-बात में बच्चों से पूछ कि तुम्हारे पिता तुम लोगो के लिए क्या लाएंगे ? जीन ने दो पल रुककर जवाब दिया किवे एक सुन्दर सा सफेद कुत्ता मेरे लिए लायेंगे। उस समय पिता सवा हजार मील दूर थें दूसरे सभी बच्चे जीन की बात पर हँसने लगे।

पर उस समय पूरा घर आर्श्चय से भर उठा, जब पिता घर लौटकर आये तो सचमुच एक सफेद कुत्ता साथ लाये।

जीन डिक्सन की यह अन्तदृष्टि क्षमता बढ़ती ही रही और जैसे-जैसे बड़ी होती गयी, वैसे ही वैसे प्रसिद्ध भी होती गयी।

सर्वप्रथम उनकी चर्चा बड़े पैमाने पर तब चल पड़ी जब उनने खुद सन् 1644 में तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति के देहावासन की तिथि उनके दफ्तर जाकर दी। दूसरे महायुद्ध के दिन थे-रुजवेल्ट धार्मिक प्रकृति के व्यक्ति थें। इसलिए जब विनम्र स्वरों में जीन ने यह बताया कि मैं एक साधारण ग्रहस्थ नारी हूँ पर ईश्वर ने मुझे जो अन्तदृष्टि दी है, वह देश के किसी काम आए, यही चाहक मैं कभी-कभी उसमें कौंधी हुई बाते बताती रहती हूँ। तो रुजवेल्ट ने बड़ी उत्सुकता से और आत्मीयता से उन्हे अपनी बात कहने का आग्रह किया। जीन डिक्सन ने कुछ हिचकिचाहट के साथ कहा कि “मैने आपसे ही सम्बन्धित एक घटना देखी है”। जीन को रुकते देख राष्ट्रपति रुजवेल्ट भाँप गए और बोले-”आप संकोच क्याँ कर रही हैं सम्भव है आपसे मेरी मृत्यु से सम्बन्धित घटना देखी हो। तो आप अवश्य बताने की कृपा करे। ताकि मैं अपने शेष कर्त्तव्य को भली-भाँति निभा सकूँ।”

श्रीमती जीन डिक्सन ने बहुत हिचकते हुए बताया-”आगामी वर्ष के मध्य में आपकी मृत्यु अवश्यम्भावी है।”

जीन डिक्सन का आभास पूर्णतः सही था। 1645 के मध्य में रुजवेल्ट का अन्त हो गया और साथ ही, जीन डिक्सन की राष्ट्रव्यायी प्रसिद्धि के क्रम का भी आरम्भ हो गया।

कुछ समय बाद उपराष्ट्रपति टू्र मैन ने एक क्लब में एक समारोह में श्रीमती डिक्सन से यों ही पूछा-”क्या आप मेंरे भविष्य के बारे में कुछ बता सकी है ? जीन डिक्सन बोली-”अवश्य। आप शीघ्र ही राष्ट्रपति बनने वाले है।” थोड़े ही समय बार टू्र मैन सचमुच राष्ट्रपति बन गये। इस घटना के बाद जब स्वयं टू्र मैन ने जीन डिक्सन की शक्ति की चर्चा की तो सारा टू्र मैन ने जीन डिक्सन की शक्ति की चर्चा की तो सारा अमरीका उन्हे जानने लगा।

भातर के विभाजन की भविष्य वाणी भी श्रीमती जीन डिक्सन ने काफी पले कर दी थी।

30 जनवरी 48 को जीन डिक्सन कुछ लोगों से बात कर रही थी। बीच में सहसा वे रुकी और बोली-अब बात आगे नहीं हो सकेगी। मुझे लग रहा है कि गाँधी जी की अभी-अभी हत्या कर दी गई है। हमें कुछ समय शान्त रहना चाहिए।” वस्तुतः ठीक उसी समय गाँधी जी पर हत्यारे ने गाली चलायी थी। कुछ घण्टों बाद यह खबर रेडियों पर सारे संसार में सुनाई जाने लगी।

एक अप्रत्याशित भविष्यवाणी जीन ने चर्चिल के बारे में की। कुछ प्रसिद्ध पत्रकारों ने उनसे चर्चिल के बारे में भविष्यवाणी का आग्रह किया। जीन ने तत्काल कहा - युद्ध के बाद वे प्रधानमन्त्री नहीं रहेंगे। हाँ, एक अन्तराल के बाद वे फिर प्रधानमन्त्री बनेंगे। उन दिनों चर्चिल लोकप्रियता के शिखर पर थे। युद्ध के कुछ समय बाद सचमुच ही चर्चिल को पद त्याग करना पड़ा। दूसरे व्यक्ति प्रधानमन्त्री बने। उनके बाद श्री चर्चिल फिर प्रधानमन्त्री चुने गये।

रुस में स्टालिन के बाद मालेन्कोव के प्रधानमन्त्री बनने ओर दो वर्ष के बाद ही उनका स्थान किसी मोटे तगड़े सैन्याधिकारी द्वारा लिए जाने की भविष्यवाणी भी जीन डिक्सन ने की थी जो अक्षरशः सही निकली।

अब तक हजारों दुर्घनाओं को उन्होने टाला है, खोये हुओं का अता-पता बताया है हत्या ओर आत्म हत्या का सहस्य अनावृत किया है तथा अन्य तरह से मदद की है उनके घर में जो आतियेय-कक्ष है, वहाँ न केवल उच्च अधिकारी, राजनेता तथा व्यवसायी आये दिन बैठे देखे जाते है, अपितु साधारण किसान और श्रमिक भी वहाँ पाये जाते है तथा श्रीमती डिक्सन सभी को यथोचित समय देती है।

जान केनेडी की राष्ट्रपति के रुप में जीत तथा चार साल के भीतर ही उनका हत्या की भविष्यवाणी श्रीमती जीन डिक्सन ने सन् 1656 में ही कर दी थी। सन् 60 के चुनाव में सचमुच केनेडी जीते। वाद में एक सम्वाददाता ने फिर पूछा कि केनेडी के बारे में आपकी दूसरी भविष्यवाणी का क्या होगा ? जीन डिक्सन ने कहा - मुझे स्पष्ट दीखा है कि नवम्बर 63 के तीसरे हफ्ते में राष्ट्रपति केनेडी की हत्या कर दी जायेगी। हत्यारे नाम का पहला अक्षर ओ तथा अन्तिम अक्षर डी होगा। 29 नवम्बर को श्रमती डिक्सन ने स्वयं ही व्हाइट हाउस को फोन किया और सुरक्षा अधिकारी को बताया कि राष्ट्रपति की इसी सप्ताह हत्या हो सकती है। पर अफसरो ने इसे असम्भव कहकर हँसकर टाल दिया। श्रीमती डिक्सन ने अपनी एक मित्र से दुःखी स्वर में कहा किये अधिकारी पागल हो गये है, मेरी बात हनीं मान रहै। लगता है कि होनी होकर रहेगी। आखिर 1663 में ही 22 नवम्बर को केनेडी की हत्या ओस्वाल्ड ने कर दी और जीन डिक्सन तथा उनकी भविष्वाणी की गूँज सारे संसार में गई।

श्रीमती डिक्सन ने खुश्चेव के पतन, नेहरु के निधन तथा शास्त्रीजी के नेहरु का उत्तराधिकारी चुने जाने की भविष्यवाणी भी बहुत पहले कर दी थी। चीन द्वारा रुसी क्षेत्र में आक्रमण की उनकी भविष्यवाणी भी सही निकली। उन्ही श्रीमती जी डिक्सन की आगामी दिनों से सम्बन्धित ये भविष्यवाणियाँ जो पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी है। विशेष महतवपूर्ण है -

1 -भारत में 1685 के बाद तीव्र घटना चक्र गतिशील होगा और वह भौतिक, आध्यात्मिक तथा राजनैतिक दृष्टि में तीव्रता से प्रगति करेगा।

2- 1676 से 81 के बीच विश्व के कुछ बडे नेताओं की हत्या के षड़यन्त्र बनेगे और इस दौरान अनेक राष्ट्राध्यक्षों को जान से हाथ धोना पेड़ेगा।

3- 1681 से 84 तक का समय विश्व के लिए अत्यन्त तनातनी का रहेगा ओर इस अवधि में युद्ध की सम्भावना बढ़ जायगी। चीन का इसमें प्रमुख हाथ रहेगा।

4- अगले युद्ध में चीन शस्त्र-युद्ध की अपेक्षा कीटाणु-युद्ध में विश्वास रखेगा तथा इससे असंख्य प्राणियों की मृत्यु हो जायेगी। चीन के विरुद्ध रुस-अमरीका एक होकर लड़ेगे।

5- 1680 तक चनद्रमा के अलावा अन्य किसी ग्रह पर भी मनुष्य अपने कदम रखा सकेंगा। अन्तरिक्ष यात्राओं में प्रगति बराबर जारी रहेगी।

6- पश्चिम में ईश्वर तथा धर्म पर आस्था बढेगी। लोग अति भौतिक जीवन से विरक्ति का अनुभव करेगे तथा धार्मिक आध्यात्मिक जीवन जीने की दिशा में प्रयास होगे।

7 - भारतमें एक ग्रामीण-परिवार में जन्मा-पला व्यक्ति अपने विचारों और कार्यो से सारे संसार का ध्यान अपनी और आकर्षित करेगा। वह गाँधी जी की तरह विश्व का मार्गदर्शन करेगा।

2-जूल वर्न

जलवन एक विश्वविख्यात लेखक तो है ही, भविष्यदूत भी है जापान द्वारा मन्चरिया पर तथा इटली द्वारा अल्वानिया पर अधिकार कर लेने की भविष्यवाणी सन् 1631 में ी उन्होने कर दी थी। उस समय इसे किसी ने सही नहीं माना था। दूसरे महायुद्ध में जब ये बातें सर्वथा सत्य सिद्ध हुई, तो जूलबर्न की धाक जम गई।

चीन द्वारा अणुबम बनाने, भारत पाकिस्तान में संग्राम छिडने, बाँगला देश बनने, इजरायल द्वारा अरबों पर विजय पाने आदि की भविष्यवाणी जूलबर्न ने काफी पहले कर दी थी। एक गम्भीर लेखकर होने के नाते वहे भविष्य कािन के पूर्व काफी सोच-विचार कर लेते थे। उनकी कुछ भविष्यवाणियाँ निम्नानुसार है -

1-1681 तक पाकिस्तान एक छोटे से टापू जैसा रह जायेगा। इसका कुछ भाग अफगानिस्तान ले लेगा। कुछ में स्वतन्त्र बलूचिस्तान बन जायेगा। शेष अंश नगण्य रह जायेगा।

2- 1685 तक भारत चीन द्वारा अपहृत भूमि वापस ले सकेगा। इसी समय तक तिब्बत भी स्वतन्त्र हो जायेगा।

3- 1685 तक सम्पन्न देशों को हर्षल, प्लूटों आदि ग्रहों की भी विस्तृत जानकारी मिल जायगी और मनुष्य शुक्र तथा मंगल ग्रह तक पहुँच जायेंगे।

4 - 1682 तक अण्शक्ति से भी कई गुनी समर्थ शक्ति का पता चल जायेगा।

5 - 1680 से 1660 तक भीषण प्राकृतिक विप्लव, अतिवृष्टि, समुद्री तूफान, अनावृष्टि, भूकम्प भूस्खलन आदि सामने आयेंगे।

6- सागरिक उद्वेलन से एक नया टापू समुद्र में उभर कर आयेगा। इस टापू पर एक शक्तिशाली जाति का आधिपत्य होगा और इससे अर्थिक सम्पत्ति प्राप्त होगी।

7 - भारत अत्यधिक शक्तिशाली बनकर उभरेगा। विश्व में उसका सम्मान बढ़ता चला जायेगा।

8 - भातर से एक ऐसा व्यक्तित्व उभरेगा, जो सारे संसार को शन्ति का पाठ पढायेगा।

9 - देश परस्पर लडते रहेंगे। परन्तु परमाणु-युद्ध न होगा।

10 - विश्वयुद्ध सन् 1680 से 1688 के बीच होगा।

11 - विश्वयुद्ध प्रारम्भ कराने में चीन का दम्भ प्रमुख कारण बनेगा।

12 - सारी पृथ्वी, विशेषकर शहरी क्षेत्र सन् 1660 तक भयंकर पर्यावरण-प्रदूषण से ग्रस्त हो जायेगे।

13 - नई-नई बीमारियाँ फैलेंगी, जो डाँक्टरों की भी समझ ने नहीं आयेंगी।

14 - धीरे-धीरे लोगो में यान्त्रिक सभ्यता के प्रति घृणा उभरेगी ओर बढेगी।

15 - यूरोपीय जातियों का झुकाव भारत वर्ष की ओर बढेगा तथा वे आध्यात्मिक जीवन में विशेष रुचि लेगें।

3-प्रो. हरार

भविष्य वक्ताओं में प्रो. हरार अनन्यतम हैं। इस धार्मिक इजरायली नागरिक को यूरोप-अफ्रीका में देवदूत की संबा प्राप्त है। अरब के प्रधान शाह मुहम्मद की यात्राओं की तैयरियाँ पूरी हो जाने पर भी तीन-तीन बार वे यात्रा न कर सकेंगे, ऐसी भविष्यवाणियाँ उनके समय में प्रो. हरार ने कीं। हर बार शाह ने अपनी ओर से हर सम्भव कोशिश की िकवे यात्रा करें ही। पर पहली बार घोड़े से गिर पड़ने पर शाह के पैरों में खराबी आ जाने के कारण, दूसरी बार मौसम की खराबी के कारण विमान न उड़ जाने के कारण और तीसरी बार पड़ोसी देश द्वारा हमला कर देने के कारण शाहमुहम्मद को यात्राएँ रोकनी पड़ी। इस प्रकार हर बार प्रो. हरार की भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई। इससे प्रभावित शाहमुहम्मद ने उन्हें अपना मुख्य माँगलिक सलाहकार बना लिया।

सबसे बड़ी बात यह है कि प्रो. हरार तिथिबार भविष्यवाणियाँ करते हैं। भारत पाक युद्ध की तारीख लगभग 2वर्ष पूर्व ठीक-ठीक बता दी थी। बाँगला देश के अभ्युदय की जब उन्होंने भविष्यवाणी की थी, उस समय कोई इसकी कल्पना तक नहीं कर पाता था।

प्रो. हरार ने भविष्य के बारे में जो कथन प्रकाशित किये हैं, उनमें से कुछ ये हैंः-

1-1980 तक लका, रुस, फ्रास, भारतवर्ष आदि में अप्रत्याशित रुप से सरकारें बदलेंगी।

2-1981 में साइबेरिया या मंगोलिया के प्रश्न को लेकर रुस-चीन में भयकर भिड़न्त होगी। इस युद्ध में अमरीका रुस की मदद करेगा।

3-1983 तक तिब्बत पूणरुपेण स्वतन्त्र हो जायेगा।

4-1980 में सारे संसार में तनातनी बढेंगी और 1982 से पहले विश्वयुद्ध शुरु हो जायेगा।

5- इस युद्ध के दौरान भारत ऐ अग्रण्ी नेता के रुप् में उभरेगा।

6-इजरायल और भारत परस्पर घनिष्ठ मित्र होंगे।

7- सन् 1980 से 2000 तक का समय भारतवर्ष के लिए अत्यन्त श्रष्ठ तथा अन्नतिदायक है।

8-1985 तक भारतवर्ष अनेक वैज्ञानिक शस्त्रों का निर्माण करेगा और एक प्रचण्ड शक्ति बनकर अभरेगा।

9-भारत में एक ऐसा व्यक्ति पैदा हो गया है, जोकि भविष्य में सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करेंगा।

प्रो. हरार के अनुसार सन् 2000तक राजनैतिक परिवर्तन होगे। ब्रिटेन, श्रीलंका, रुस और भारतवर्ष में अप्रत्याशित रुप् से सरकारे बदलेगी। इजरायल और अरब के समानान्तर अक्षाश पर होने के कारण भारत वर्ष की स्थिति ठीक वैसी ही होगी। मित्र जैसे दिखाई देने वाले पड़ौसी देश या तो आक्रमण करेंगे या आक्रमण के समय मौन रहेंगे। अधिकाँश प्रतिपक्ष का समर्थन करेंगे। इसके बाद दुनिया या नेतत्व ऐसे लोगों के हाथ में होगा, जिनकी उनसे पहले तक लोगों ने कल्पाना भी न की होगी। यह लोग बीर होने के साथ-साथ धर्मनिष्ठ भी होंगे।”

4-पीटर हरकौस

हालैण्ड वासी पीटर हरकौस को बीसवीं शताब्दी का महानतम भविष्य वक्ता कहा जाता है। क्योंकि उसकी सभी भविष्यवाणियाँ समय पर सही सिद्ध होती रही हैं। उसकी दूसरी विशेषता यह है कि वह किसी भी समय किसी व्यक्ति के बारे में भविष्य कथन करने में सक्षम हैं। विश्व भर के चिकित्सक, वैज्ञानिक तथा मस्तिष्क विशेषज्ञ अब तक पीटर हरकौस पर परीक्षण प्रयोग कर चुके हैं- यह जानने के लिए कि वह कौन-सी विलक्षणता है, जिसने इस व्यक्ति को इस रुप में समर्थ बना रखा है।

हरकौस अपने सामने आये किसी भी व्यक्ति को देखते ही उसके सम्पूर्ण अतीत और अनागत को जान लेता है। इतना ही नहीं, यदि किसी भी व्यक्ति के पहने हुए कपड़े या इस्तेमाल की हुई किसी वस्तु को उसके हाथ में दे दिया जाय, तब भी वह तत्काल उस व्यक्ति के भूत-भविष्यत् को स्पष्टता से बता सकता है।

अमरीका तथा यूरोप के हजारों लाखो व्यक्ति अब तक हरकौस से सर्म्पक कर लाभान्वित हो चुके है और हो रहे है।

इन्ही महानतम अन्तदृष्टा पीटर हरकौस ने विश्व के भविष्य से सम्बन्धित ये भविष्यवाणियाँ की है, जो ध्यान देने योग्य है-

1. 1680 के बाद और 1685 से पहले तीसा विश्वयुद्ध अवश्यम्भावी है।

2. इस विश्व युद्ध के समय तक जापान और भारत एक विशेष शक्ति बनकर उभरेंगे।

3. इस युद्ध में चीन के विरुद्ध अमरीका और रुस दोनो साथ-साथ लडेगे।

4. महायुद्ध 1666 तक समाप्त हो जायेगा।

5. युद्ध तथा गृह युद्ध के कारण चीन की जन संख्या 1687 तक एक चौथाई के आस पास रह जायेगी ओर पाकिस्तान समाप्त प्राय हो जायेगा।

6-भारत का उदय वृहत्तर भारत के रुप में होगा। वहा से आध्यात्मिकता की एक प्रचण्ड लहर उठेगी। यह लहर सम्पूर्ण विश्व पर अपना प्रभाव डालेगी लोग भारत से उठनन वाली इस आध्यात्मिक धारा से अभिभूत होकर उसी दिशा में बढेगी और तब सुखी, सम्पन्न, एकात्म, विश्व-समाज का उदय तथा विकास होगा। प्रत्येक मनुष्य में देवत्व का उदय होगा और धरती पर र्स्वग बन उठेगी।

5. नोस्ट्रडमस

यूरोप के विश्व-विख्यात भविष्य वक्ता दृष्टा नोस्ट्राडेमस ने फ्राँस में हुई भयंकर हिंसक क्रान्ति के उपरान्त। 1503 में फ्राँस में ही जन्मे नोस्ट्राडेमस को ख्याति उस समय मिली जब फ्राँस के विषय में की गई इनकी भविष्यवाणी बतोय गये समय एवं स्वरुप के अनुसार अक्षरशः कही नहीं उतरी। घटनाओं के पूर्वाभास शक्ति सम्पन्न होने का प्रमाण उस समय मिला तथा और भी पुष्ट हुआ जब नोस्ट्राडोमस रास्ते से जाते एक ईसाई साधु के चरणों में झुक पड़ा। साथ के मित्र के पूछे जाने पर उन्होने बताया कि यह साधु पाँच वर्ष बाद पोप बनेगा। यह समय सन् 1580 का था। नोस्ट्राडेमस द्वारा बताये गये समय 1885 को साधु सर्व सम्मति से फ्राँस का पोप नियुक्त किया गाय। इससे नोस्ट्राडेमस की ख्याति और भी बढ गई। फ्राँस में वे अतीन्द्रिय सम्पन्न व्यक्ति के रुप में माने जोन लगे।

नोस्ट्राडेमस की 400 भाविष्यवाणियों का संकलन चार पुस्तको में प्रकाशित है। कविता की शैली होने के कारण इनका नाम दिया गया है ‘शतियाँ।’ प्रत्येक शतियाँ में 100 भविष्य वाणियाँ है पन्द्रवी सदी से लेकर अब तक का अधिकाँश बाते अपने समयानुसार सही उत्तरी है। नेपोलयन के विषय में नोस्ट्राडेमस ने लिखा है-”कि इटली के निकट सामान्य परिवार में जन्मा एक बालक विश्व का सबसे बडा तानाशाह सम्राट बनेगा। अपने साम्राज्य के विस्तार लिए वह अमानवीय प्रयत्न करेगा।” इसी क्रम में आगे वर्णन है कि उसके कुकृत्यों के कारण उसी के साि विश्वासघात करेगे। पराजित होगे, पर उसे निर्वासित कर एक एकान्तिक द्वीप में बन्दी के रुप में रखा जायेगा। यह स्थान उसके जीवन का उत्तरार्ध होना चाहिए। सभी जानते है कि नेपोलियन अपने ही मित्रों के विश्वासघात के कारण पकड़ा गया तथा सेन्ट हेलेना द्वीप में बन्दी रहा। वहीं उसकी मृत्यु हो गई।

स्पेन में सन् 1636-37 में हुए आन्तरिक गृह युद्ध के विष में नोस्ट्राडेमस ने भविष्यवाणी की थी। “फ्रेकों नामक व्यक्ति स्पेन में जन-समूह एकत्रित करेगा। आन्तरिक क्रान्ति होगी। इस गृह युद्ध के फलस्वरुप फ्रैकों को निष्कासित किया जायेगा। उसे खाड़ी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।” इतिहास वेत्ता जानते है कि कि चार खती पूर्व की गई नोस्ट्राडेमस की भविष्यवाणी किस प्रकार सही घटित हुई। फ्रैकों अपनी ही जन्मभूमि स्पेन में प्रवेश नहीं कर पाया।

हिटलर का एक निरंकुश शासन के रुप में उदय होने का उल्लेख भी शतियाँ में है। राइन के निकट आस्ट्रिया के पर्वतों में सामान्य परिवार में एक व्यक्ति जन्म लेगा, जो पोलण्ड और हेगरी की रक्षा तो करेगा पर हिंसक क्रान्ति का आश्रय लेने से उसका भविष्य भीअनिश्चित होगा।” हिटलर का अभ्युदय और पराभव का इतिहास प्रसिद्ध है। जो नोस्ट्राडेमस की भविष्यवाणी के बनुसार सही सिद्ध हुआ। द्वितीय महायुद्ध के विषय में नोस्ट्राडेमस ने कहा था- “आग्नेयास्त्रों एवं महाविनाशक बमों के प्रहार से बन्दरगाह के निकट दो नगर युद्ध के अभिशाप सिद्ध होगे। हिरोसिमा, नागाशारी पर जर्मनी द्वारा गिराये गये परमाणु बमों से हुई क्षति एक ऐतिहासिक घटना के रुप में जानी जाती है।

बीसवी सती में सही घटित हुई नोस्ट्राडेमस की भविष्यवाणियों में प्रमुख है-इंग्लेण्ड के राजा एडवर्ड अष्टम का सिंहासन त्याग तथा उसके स्थान पर एक अप्रत्याशित व्यक्ति का सिंहासनारुढ होना।” एडवर्ड अष्टम ने श्रीमती सिम्प्सन से विवाद करने की इच्छा प्रकट करना एक नैतिक अपराध माना। बाध्य होकर एडवर्ड को इंग्लैण्ड छोडना पड़ा। अन्य प्रमुख भविष्यवाणियों में, पाकिस्तान का आन्तरिक गृह युद्ध के फलस्वरुप दो भागों में विभक्त होना, अन्य मुस्लिम राष्ट्रा में आन्तरिक विग्रह पैदा होना जैसी बाते प्रत्यक्ष देखी जा रही है। पाकिस्तान, ईरान, बाँगला देश में पनपता हुआ आन्तरिक संघर्ष इन राष्ट्रों के लिए एक बड़ा संकट बना हुआ है।

बीसवीं सदी की विभीषिकाओं में जिस चमत्कारी शोध का उल्लेख नोस्ट्राडेमस करते है, उसका उल्लेख एक जर्मनी से प्रकाशित बहुचर्चित पुस्तक में मिलता है। पुस्तक का नाम है-”दी फ्यूचर आफ हृयूमिनीटी।” इसमें नोस्ट्राडेमस की कुछ प्रमुख भविष्यवाणियों का उल्लेख किया गया है। जीवन के अन्तिम दिनों कुछ व्यक्ति नोस्ट्राडेमस से मिलने गये। उन्होने कहा-भविष्य की कुछ ऐसी घटनाओं का उल्लेख कीजिये जो महत्वपूर्ण हो। पहले तोसहमत नहीं हुए, पर अधिक आग्रह करने पर उन्होने कहा “कि बीसवी सदी में जब विकसित बुद्धि स्वयं मानव जाति के लिए अभिशाप सिद्ध होगी। भौतिक प्रयास, प्रकृति सन्तुलन एवं मानवी कृत्य को श्रेष्ठ मार्ग की ओर मोढ पाने में असमर्थ होगे। इन परिस्थितियों में एक प्रचण्ड शक्ति का प्रादुर्भाव होगा।” उसका जन्म तो बीसवी सदी के आरम्भ में ही हो जाना चाहिए। पर प्रखर स्वरुप तो इसी सती के अन्तिम बीस वर्षो में प्रकट होना चाहिए। एशिया सम्भवतः भारत के उत्तराखण्ड में मानव-जाति के भविष्य के उज्ज्वल निर्धारण के कार्य क्रमों में एवं क्रियान्वयन में निरत होना चाहिए। उसके अन्य मानवतावादी कार्यक्रमों से सबसे महत्वपूर्ण कार्य होगा। चेतना की सत्ता को वैज्ञानिक प्रयोगशाला में सिद्ध करना। इस बौद्धिक एवं विचारात्मक प्रयास के समय विश्व के मूर्धन्य विचारक एवं वैज्ञानिक भी नतमस्तक होगे। समस्त भौतिक शक्तियाँ उसकी आध्यात्मिक शक्ति के समक्ष अल्प होगी। नेस्ट्राडेमस ने रोमाचित होकर कहा कि मुझे तो नवयुग के आगमन के स्पष्ट संकेत मिल रहे है। एशिया के उत्तरा खण्ड से संस्कृति की एक धारा प्रचण्ड वेग से आ रही है जो समस्त मानव जाति को नव-जीवन देगी।” दुनिया को भावी महाविनाश से बचा सकने में यह शक्ति ही समर्थ होगी।

बीसवी सदी की जिन विभीषिकाओं का उल्लेख नोस्ट्राडेमस ने पोने पाँच सौ वर्ष पूर्व किया है उनको घटित होने प्रत्यक्ष देखा जा रहा हैं

(6) जान सैवेज

फ्लोरिडा (अमेरिका) की प्रसिद्ध अन्तदृष्टि सम्पन्न महिला जान सैवेज ने अब तक जितनी भी भविष्य वाणियाँ की है, उनमें से 66 प्रतिशत सही सिद्ध हुई है। श्रीमती जान सैवेज ने एक भारतीय योगी से दीक्षा ग्रहण की है ओर योगाभ्यास द्वारा अपनी अन्तदृष्टि का विकास किया है। उन्होने अगले दिनों की सम्भावनाओं के सम्बन्ध में लिखा है, 1681 की दशाब्दी विश्व इतिहास में व्यापक उथल पुथल ओर भंयकर परिवर्तनों के लिए लम्बे समय तक याद की जाती रहेगी। यह क्रम 1680 से आरम्भ होगा जब अमेरिका की नहर पनामा तथा जापान का अधिकाँश समुद्री भाग प्रबल भूकम्प के कारण पृथ्वी की गोद में समा जायगे। आज रुस और अरब मित्र राष्ट्रो की तरह दिखाई देते है। किन्तु धीरे-धीरे उनमें खाई पडेगी, उग्र विवाद होंगे। (उस समय तक तो विवाद को स्थिति नहीं थी, किन्तु इस समय तक निश्चित ही दोनो के बीच सन्देह जनक परिस्थितियाँ जन्म ले चुकी है) ओर युद्ध हो जायेगा 1685 के लगभग अन्तर्राष्ट्रीय विवादो के अत्यधिक उग्र होने की सम्भावना है और एक बार फिर विश्वयुद्ध के बादल घुमड़ आयेंगे।

(7) एण्डरसन

1610 में अमेरिका के अयोवा नगर में जन्मे एण्डर सन की 67 प्रतिशत भविष्य वाणियाँ सत्य सिद्ध होती रही है। एक-एक, दो-दो वर्ष आगे की की हुई उनका भविष्वाणियों को लोगों ने सैकडो बार सत्य होते देखा है एण्डरसन को मुख्य ख्याति उनके अतुलित शारीरिक पराक्रम और व्यायाम सम्बन्धी अद्भुत प्रदर्शनो के कारण मिली, परन्तु उनकी भविष्यवाणियों ने उन्हे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का प्रसिद्ध व्यक्ति बनाया। उनकी सत्य सिद्ध हाने वाली भविष्यवाणियों के कारण न केवल अमेरिका के वरन् दूसरे देशो के व्यापाीर, उद्योगपति फिल्म कलाकार, नेता आदि भी उनसे भविष्य सम्बन्धी प्रश्न पूछ कर काम करते थे।

भविष्य दर्शन या अज्ञात दर्शन की यह क्षमता उनमें बचपन से ही उत्पन्न होने लगी थी। जब आठ वर्ष के थे तो एक दिन वह अपने घर की बैठक में खेल रहे थे। उन दिनों पहला विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो चुका था। एण्डरसन का भाई नेल्सन कनाडा की सेना में कप्तान हो गया था। उसकी फोटो बैठक में लगी हुई थी। अचानक एण्डरसन को न जाने क्या सूझा कि वह खेलते-खेलते अपनी माँ के पास गया और माँ का हाथ पकड़कर बैठक में ले गया तथा बोला, “माँ ! देखो ! भैया के चेहरे पर बदूक की गोली लगी है और वह जमीन पर गिरकर मर चुके है।

माँ ने डाँटा, चल मूर्ख! ऐसी बुरी बात नहीं कहते” पर एण्डरसन फिर भी वही बात दोहराता रहा माँ ने डाँट फटकार कर किसी तरह चुप कराया, किन्तु इस घटना के दो तीन दिनबाद ही कनाडा से तार आया कि 1 नवम्बर 1678 को गोली लगने से सेन्सन की मृत्यु हो गई यह समाचार पढते ही परिवार शोक सागर में डूब गया और आर्श्चय में भी कि एण्डरसन को इस घटना का पूर्वाभास किस तरह हो गया था।”

जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था तो एण्डरसन ने घोषणा की कि, ‘इस युद्ध में रुस और अमेरिका एक साथ मिलकर लड़ेगे पर आगे दोनो में शत्रुता हो जायेगी। एण्डरसन ने जिस समय यह भविष्यवाणी की उस समय अमेरिका और रुस एक दूसरे के अभिन्न मित्र थे और मित्र राष्ट्र दोनों के संयुक्त शत्रु। इसलिए तब किसी ने भी एण्डरसन की इस बात पर विश्वास नहीं किया लेकिन उस समय सभी लोग विस्मित रह गए जब मित्र राष्ट्रो की सेनाओं में रुस ओर अमेरिका दोनों साथ-साथ मिलकर लडे।

राष्ट्रपति रुजवेल्ट के दिवगत हो जाने तथा एक अमेरिकी सेनापति के राष्ट्रपति बनने की उनकी भविष्यवाणियाँ भ सही सिद्ध हुई। रुजवेल्ट की शीघ्र ही मृत्यु होने की भविष्यवाणी उन्होने इस प्रकार आकस्मिककी थी कि तब वे पूण्र तरह स्वस्थ थे। उन पर विश्वास करने वालों ने सहज ही पूछा, क्या उनकी हत्या की जायेगी ? तो एण्डरसन ने कहा नहीं वे स्वास्थ्य खराब होने के कारण दिवंगत होगे। कुछ दिनों बाद रुजवेल्ट सचमुच बीमार पडे और साधारण सी बीमारी के झटके से ही चल बसे। एक सेनापति के अमेरिका का राष्ट्रपति बने की भविष्यवाणी भी उस समय सही सिद्ध हुई जब जनरल आइजनहावर जो मित्र देशों की सेना में अमेरिका के सेनापति थे बाद में राष्ट्रपति बने। इसी प्रकार उन्होने भारत के स्वतन्त्र होने की भी भविष्य वाणी की जो सही निकली।

युवावस्था बीतते-बीतते तक देश विदेश में उनकी बहुत ख्याति फैल गई। मई सन् 1645 में एक दिन वे अपने आप अमेरिकी समाचार पत्र वाकर काउण्टी मैसेंजर के सम्पादक के पास गए और बोले - 5 अगस्त को एक ऐसी घटना घटेगी जिसमें जापान के साथ चल रहे युद्ध की स्थिति एकदम बदल जाऐगी और 25 अगस्त तक युद्ध विराम की घोषणा भी हो जायेगी। सम्पादक ने यह घ्ज्ञटना नोट कर ली पर तब उन्हे सहसा विश्वास नहीं हुआ। किन्तु इससे पहले एण्डरसन की कई भविष्यवाणियाँ सही सिद्ध हो चुकी थी सो उन्होने इसकी भी परीक्षा करने के लिए अपने पास रख लिया। 5 अगस्त ही वह क्रूर दिन था, जब हिरोशिमा पर बम गिराया गया और उसके फलस्वरुप एक लाख से भी अधिक व्यक्ति मारे गये। इस बज्रपात से जापान बुरी तरह लडखडा गया। उसने आत्म समर्पण कर दिया अउर उसी के साथ 25 अगस्त को युद्ध विरा की घोषणा भी कर दी गई।

इसके बाद उन्होने नीग्रोनेता मार्टिन लूथरकिंग, राबर्ट कैनेडी की हत्या की भविष्यवाणियाँ की जो शत प्रतिशत, समय और घटनाओं क साथ निकली। माटिन लूथर किंग की हत्या के लिए तो उन्होने वारेन स्मिथ नाम एक प्रेस रिपोर्टर को 2 अप्रैल को ही लिख कर एक पत्र दे दिया था। उस पत्र में यद्यपि उसने नाम नहीं लिखा पर निग्रोनेता का स्पष्ट अर्थ मार्टिन लूथर किंग से ही था। इसी प्रकार उन्होने जब दुबारा फिर कहा कि एक और नीग्रोनेता की हत्या होगी, तब तो लोगों ने उसे बिलकुल ही निराधार बता दिया था किन्तु 22 जुलाई 1666 को जब स्व. मार्टिन लूथर किंग के भाई रेवरेड विलियन किंग का शव एक तालाब में तैरता पाया गया, तब लोगों को सच्चाई का पता चला।

एण्डरसन का कथन है कि “आगामी समय संसार के लिए महाविनाशकारी सिद्ध होगा। एशिया का सबसे अधिक जनंसख्या वाला देश (चीन) उत्पात शुरु करेगा और उसका सामना करने के लिए अमेरिका तथा रुस को एक होना पडेगा। अरब राष्ट्रो सहित, मुस्लिम बहुत राज्यों में आपसी क्रान्तियाँ और भीषण रक्तपात होंगे। युद्ध और हिंसा का यह ताण्डव सन् 1680 के बाद निरन्तर बढ़ता ही जायेगा। इस बीच सभी देशों के राजनैतिक प्रधानों का अस्तित्व खतरे में रहेगा। ओर उनका प्रभुत्व घटना हुआ चला जायेगा”

विनाश के साथ एण्डरसन ने ऐसे उज्जवल भविष्य का संकेत दिया है, जिसमें सब लोग सुख शान्ति से रहेंगे। वर्तमान भ


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