17 मार्च 1978 को ऐसा ही भयानक चक्रवात दिल्ली में आया था। गे्रटर कैलाश के एक प्रत्यक्षदर्शी का कथन है कि धरती में चारपाई के ऊपर बैठी स्वेटर बुन रही एक महिला चक्रवात के वेग से उछल कर एक मकान की तिमंजिली छत पर जा पहुँची थी। इस बबन्डर और उस क्षेत्र में व्याप्त रेडियो सक्रियता का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक दल ने बताया कि पृथ्वी के तापमान को नियन्त्रित करने का और मानवीय सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने का दायित्व अयन मण्डल की उस रक्षा-पट्टी का है जो ओजोन नामक गैस से बनी और सम्पूर्ण धरती को आवृत्त किये हुये है। उसमें किसी तरह की उथल-पुथल दो ही कारणों से हो सकती है (1) ग्रह-नक्षत्रों के गुरुत्वाकर्षण में अत्यधिक परिवर्तन (सौर स्फोट भी इसी के अर्न्तगत आयेगा) (2) पृथ्वी के पर्यावरण में विषैली रासायनिक खादों, प्रसाधन सामग्री हवाई जहाजों के नाइट्रोजन व क्लोरीन छोड़ने, औद्योगिकरण से उत्पन्न वायु प्रदूषणकारी गैसों और कार्बन डाईआँक्साइड की अत्यधिक वृद्धि निकट आती दीखती है।