बर्रों का छत्ता (kahani)

March 1975

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

बर्रों का छत्ता बहुत बड़ा था। पास की डाली पर मधु मक्खियां एक छोटा छत्ता बनाने में परिश्रम पूर्वक जुटी थीं। एक बड़ी बर्र निकली और व्यंगपूर्वक बोली, उह, इतना छोटा छत्ता और इतनी मक्खियों का इतना शोर-गुल। मधु मक्खियों में से एक ने नहले पर दहला मारा बोली- बहन, तुम इससे भी छोटा छत्ता बनाकर दिखा दो जिसमें हमारे छत्ते जैसा शहद भरा हो।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles