Quotation

September 1973

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

ईश्वर क्या है, कहाँ है? युगों-युगों से मनीषी यह जिज्ञासा उठाते व समाधान खोजते रहे है। ऋग्वेद का ऋषि कहता है” एको विश्वस्य भवनस्य राजा” वह सब लोकों का एकमात्र स्वामी है तथा “ तस्मिन् ह तस्युमं वनानि विश्वा” उस परमात्मा में ही सम्पूर्ण लोक स्थित है। उपनिषद्कार कहते है-” ईश्वर को आंखों से कोई नहीं देख सकता, किन्तु हममें से पवित्र मन वाला हर कोई अपनी विमल बुद्धि से ईश्वर को देख सकता है।” वैज्ञानिकों ने भी सृष्टि के प्रणेता ज्येष्ठ माने जाने वाले परब्रह्म को भी अपनी अन्वेषक दृष्टि से देखा व अपना अभिमत व्यक्त किया है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles