चोर की आंखें खुल गयी (kahani)

September 1973

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

बाप बेटे चोरी को गये। बाप अभ्यस्त था और बेटा नौसिखिया। बेटे को कुएँ की मुँडेर पर खेत मालिक की खोज खबर रखे रहने की चौकीदारी के लिए बैठा दिया और स्वयं फसल काटने में लग गया। इससे पूर्व बेटे को बता दिया गया था कि मालिक आता दीखे तो इशारा कर देना ताकि हम लोग भाग चले।

खेत कटने लगा। बाप काम में लग गया। लड़के ने इधर-उधर नजर दौड़ाई तो खेत का मालिक तो नहीं दिखा पर संसार का मालिक सर्वत्र सर्वव्यापत नजर आया। सो वह चिल्लाया, पिताजी हमें तुरन्त भागना चाहिए। देखने वाले ने देख लिया।

दोनों बेतहाशा दौड़े। बहुत दूर जाने पर रुके तो बाप ने बेटे से पूछा, वह कौन था, कहाँ था जिसने हमें देखा। लड़के ने आसमान की उंगली उठाकर उस सर्वव्यापी की ओर इशारा किया जो हर किसी को देखता है और करनी का फल दिये बिना मानता नहीं।

चोर की आंखें खुल गई और उसने आगे से चोरी करना बंद कर दिया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles